सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Les't Try Sooji Ke Pakode Recipe In Hindi


Les't  Try Sooji Ke Pakode Recipe In Hindi
Les't  Try Sooji Ke Pakode Recipe In Hindi


 शाम के नाश्ते में चाय के साथ बेसन नहीं ट्राई करें सूजी के पकोड़े, यहां सीखें बनाने की विधि






Try Sooji Ke Pakode : पूरे देश में कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। जिसकी वजह से लोग घरों में रह रहे हैं। साथ ही अपने सारे काम घर पर ही रहकर पूरे करते नजर आ रहे हैं। 21 दिन के बाद एक बार फिर लॉकडाउन बढा़ने की वजह से लोग बाहर का चटपटा नाश्ता मिस कर रहे हैं और घर में ही नई-नई डिश ट्राई कर रहे हैं। सबसे साधारण और फटाफट बन जाने वाला स्नैक्स बेसन की पकौड़ी तो आपने हमेशा ही खाई होगी। लेकिन आज हम आपको बताएंगे सूजी की बनी करारी पकौड़ियां, जिसे आप घर पर अपनी मनचाही सब्जी को मिलाकर बना सकती हैं। बिना ज्यादा समय लिए इस पकौड़ी को टेस्टी और हेल्दी नाश्ते के रूप में हर किसी को एक बार जरूर घर पर बनाना चाहिए। आगे की स्लाइड में सीखें सूजी के पकौड़े बनाने की रेसिपी।

Recipe In Hindi सामग्री  
शिमला मिर्च
पत्ता गोभी
फूल गोभी
रिफाइंड आयल
दही
बेकिंग सोडा
नमक
सूजी हरी मिर्च
हरी धनिया


 सूजी के पकौड़े बनाने की विधि 
एक कटोरी में सूजी, दही, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, फूल गोभी और स्वादानुसार नमक मिक्स कर लें और हल्का सा पानी मिलाएं।
गैस पर कढ़ाई चढ़ाएं और तेल डालकर गर्म कर लें।
अब मिक्सचर को गोल-गोल बनाकर गर्म तेल में डालें। भूरा होने के बाद निकाल लें।
सूजी के पकोड़े तैयार हैं।
आप इन्हें मनचाही चटनी या सॉस के साथ सर्व कर सकते हैं।
Sooji Ke Pakode

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे