Nida Fazli Top Sher And Life Motivational Sher Collection जीवन को हौसला निदा फ़ाज़ली के चुनिंदा शेर |
जीवन को हौसला देते ख़ास शेर
सख़्तियां बढ़ रहीं हैं आलम की
हौसले मुस्कुराए जाते हैं
- अज्ञात
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर
उस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया
- आदिल मंसूरी
हर एक बात को चुप-चाप क्यूं सुना जाए
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए
- निदा फ़ाज़ली
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं
- महफूजुर्रहमान आदिल
चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई
- शकील बदायूंनी
मत बैठ आशियाँ में परों को समेट कर
कर हौसला कुशादा फ़ज़ा में उड़ान का
- महफूजुर्रहमान आदिल
इस रंज में भी निबाह देंगे
अपना अभी इतना हौसला है
- इमदाद अली बहर
कुछ भी नहीं घर में 'यूसुफ़'
इक हौसला बस रहा है
- यूसुफ़ हसन
जीत जाने का शौक़ है तुम को
हारने का भी हौसला रखना
- रूप साग़र
निदा फ़ाज़ली के चुनिंदा शेर
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के बाद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूं नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूं नहीं जाता
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है
सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहां में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूं नहीं जाता
कुछ लोग यूं ही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
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