सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Sangeetkar naushad famoush hindi shayari संगीतकार नौशाद की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर

Sangeetkar naushad famoush hindi shayari संगीतकार नौशाद की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर
Naushad famoush hindi shayari 



Naushad Famoush Hindi Shayari  संगीत के क्षेत्र में अपने को मुकम्मल करने के लिए वह 17 साल की उम्र में ही अपनी किस्मत आजमाने मुंबई चले गए थे। जहां उन्हें गीत-संगीत का सतरंगी आसमान मिला। उन्होंने हिंदी फिल्मी जगत को अपनी संगीत कला से खुशनुमा कर दिया। संगीत के अलावा उन्होंने शेरो- शायरी में भी उन्होंने खूब कलम चलाई। पेश है नौशाद की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर








आग इक और लगा देंगे हमारे आँसू 
निकले आँखों से अगर दिल के सहारे आँसू 

अपनी तदबीर न तक़दीर पे रोना आया 
देख कर चुप तिरी तस्वीर पे रोना आया 
Musician naushad, 







चलो टूटी तो ज़ंजीर-ए-मोहब्बत 
मुसीबत थी क़यामत थी बला थी 

न हम बदले न तुम बदले हो लेकिन 
नहीं जो दरमियाँ वो चीज़ क्या थी 
जब तलक क़ैद थे तक़दीर पे हम रोते थे 
आज टूटी हुई ज़ंजीर पे रोना आया 
Naushad shayari in hindi,







अभी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं 
अभी ज़िंदगी के बहाने बहुत हैं 

आबादियों में दश्त का मंज़र भी आएगा 
गुज़रोगे शहर से तो मिरा घर भी आएगा 
जब याद तुम आते हो महसूस ये होता है 
शीशे में परी जैसे कोई उतर आई है 

ये दुनिया हक़ीक़त की क़ाइल नहीं है 
फ़साने सुनाओ फ़साने बहुत हैं 

जो कुछ भी समझ ले अब मर्ज़ी है ज़माने की 
शीशे की कहानी है पत्थर ने सुनाई है 
ख़ैर माँगी जो आशियाने की 
आँधियाँ हँस पड़ीं ज़माने की 
Famoush hindi shayari

मेरे ग़म को समझ सका न कोई 
मुझ को आदत है मुस्कुराने की 

हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे 
होते रहे जो दिल पे सितम देखते रहे 

दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है 
पर्दे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है 


इक उम्र हुई ये सोच के हम जाते ही नहीं गुलशन की तरफ़ 
तुम और भी याद आओगे हमें जब गुल कोई खिलता देखेंगे 
Sangeetkar naushad famoush hindi shayari

ठोकरें खाइए पत्थर भी उठाते चलिए 
आने वालों के लिए राह बनाते चलिए 

न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता 
हमीं से ये तमाशा है न हम होते तो क्या होता 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...