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Garmi Aur Paon Ke Chhale Famous Shayari Hindi Shayarih

'गर्मी' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़, 'पांव के छालों' पर कहे गए शेर... Hindi Shayarih


'गर्मी' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़
Garmi Par Shayari

'गर्मी' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़,

 
 
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ ग
- राहत इंदौरी




पड़ जाएं मिरे जिस्म पे लाख आबले 'अकबर'
पढ़ कर जो कोई फूंक दे अप्रैल मई जून
- अकबर इलाहाबादी



गर्मी से मुज़्तरिब था ज़माना ज़मीन पर
भुन जाता था जो गिरता था दाना ज़मीन पर
- मीर अनीस


सारा दिन तपते सूरज की गर्मी में जलते रहे
ठंडी ठंडी हवा फिर चली सो रहो सो रहो
- नासिर काज़मी

बंद आँखें करूँ और ख़्वाब तुम्हारे देखूँ
तपती गर्मी में भी वादी के नज़ारे देखूँ
- साहिबा शहरयार


तू जून की गर्मी से न घबरा कि जहाँ में
ये लू तो हमेशा न रही है न रहेगी
- शरीफ़ कुंजाही






शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा
सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है
- शकील जमाली


धूप की गरमी से ईंटें पक गईं फल पक गए
इक हमारा जिस्म था अख़्तर जो कच्चा रह गया
- अख़्तर होशियारपुरी

लगा आग पानी को दौड़े है तू
ये गर्मी तिरी इस शरारत के बाद
- मीर तक़ी मीर


सर्दी गर्मी बारिश पतझड़
सारी रुतें हैं आनी जानी
- अरमान नज्मी




'पांव के छालों' पर कहे गए शेर...

 
 
कोई जुगनू कोई तारा न उजाला देगा
राह दिखलाएँगे ये पाँव के छाले मुझ को
- कामिल बहज़ादी
Paon ke chale shayari


कसमसाते हैं पाँव के छाले
है अभी भी कोई सफ़र बाक़ी
- ओम प्रभाकर

रेत है गर्म पाँव के छाले
यूँ दहकते हैं जैसे अंगारे
- अली सरदार जाफ़री
paon ke chhale par shayari







हमारे पाँव के छाले हमारी मंज़िल तक
उबल उबल के नया रास्ता बनाते हैं
- राकेश राही

हमारे पाँव के छाले ही ये समझते हैं
कि तेरे प्यार की ख़ातिर कहाँ कहाँ भटके
- अनुभव गुप्ता
paidal chalna shayari

ये ख़ुश्क लब ये पाँव के छाले ये सर की धूल
हम शहर की फ़ज़ा में भी सहरा-नवर्द हैं
- इक़बाल हैदर



ज़िंदगी नाम है चलने का तो चलते ही रहे
रुक के देखे न कभी पाँव के छाले हम ने
- अफ़ज़ल इलाहाबादी




धरती को मेरी ज़ात से कुछ तो नमी मिली
फूटा है मेरे पाँव का छाला तो क्या हुआ
- कुंवर बेचैन



अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है
- एजाज़ रहमानी




हुस्न था उस शहर का आवारगी
और हमें थे पाँव के छाले अज़ीज़
- रसा चुग़ताई



तो हम भी रात के जंगल में सो गए होते
न बनते पाँव के छाले अगर सफ़र में चराग़
- ख़लीक़ुज़्ज़माँ नुसरत



किस क़दर ख़ुद्दार थे दो पाँव के छाले न पूछ
कोई सरगोशी न की ज़ंजीर की झंकार से
- शबनम नक़वी


अब लुत्फ़ मुझे देने लगे पाँव के छाले 
दुश्वार मिरा और भी रस्ता किया जाए 
- अज्ञात 

आज तक साथ हैं सरकार-ए-जुनूँ के तोहफ़े
सर का चक्कर न गया पाँव के छाले न गए
- जलील मानिकपूरी

ऐ मिरे पाँव के छालो मिरे हम-राह रहो
इम्तिहाँ सख़्त है तुम छोड़ के जाते क्यूँ हो
-लईक़ आजिज़


लईक़ आजिज़ऐ मिरे पाँव के छालो मिरे हम-राह रहो
इम्तिहाँ सख़्त है तुम छोड़ के जाते क्यूँ हो
- लईक़ आजिज़

तुम्हारी मेरी रिफ़ाक़त है चंद क़ौमों तक
तुम्हारे पाँव का छाला हूँ फूट जाऊँगा
- सुलैमान अरीब


इन राहों में वो नक़्श-ए-कफ़-ए-पा तो नहीं है
क्यूँ फूट के रोए हो यहाँ पाँव के छालो
- वहीद अख़्तर

सीने के ज़ख़्म पाँव के छाले कहाँ गए
ऐ हुस्न तेरे चाहने वाले कहाँ गए
- कलीम आजिज़




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