अगर लॉक-डाउन में होते ये शायर तो क्या शेर कहते
Lock-down shayari
ज़माने से घबरा के सिमटे थे ख़ुद में
मगर अब तो ख़ुद से भी उकता रहे हैं
- मनीश शुक्ला
ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
मगर लोगों से अब ख़ाइफ़ ख़ुदा है
- नरेश कुमार शाद
ये सब तो दुनिया में होता रहता है
हम ख़ुद से बे-कार उलझने लगते हैं
- भारत भूषण पन्त
Hindi lockdown shayari
हो न मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएंगे
- बिस्मिल अज़ीमाबादी
कितने लोगों से मिलना-जुलना था
ख़ुद से मिलना भी अब मुहाल हुआ
- मनीश शुक्ला
'मीर' बंदों से काम कब निकला
माँगना है जो कुछ ख़ुदा से माँग
- मीर तक़ी मीर
lock-down days shayari
ऐसा हुआ कि घर से न निकला तमाम दिन
जैसे कि ख़ुद से आज कोई काम था मुझे
- बिमल कृष्ण अश्क
अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ
ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ
- मुसव्विर सब्ज़वारी
मैं आज ख़ुद से मुलाक़ात करने वाला हूँ
जहाँ में कोई भी मेरे सिवा न रह जाए
- अंजुम सलीमी
Hindi lock-down shayari
ज़माना हो गया ख़ुद से मुझे लड़ते-झगड़ते
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
- इफ़्तिख़ार आरिफ़