Mizaaj And Udasi Famous Shayari Collection 'मिज़ाज'और उदासी पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ - Hindi Shayari H
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'मिज़ाज'और उदासी पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़
हिन्दी शायरी एच
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
- फ़ानी बदायुनी
इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में
जो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा बीमार हो गया
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
- अल्लामा इक़बाल
एक बे-नाम उदासी से भरा बैठा हूं
आज दिल खोल के रोने की ज़रूरत है मुझे।
- अंजुम सलीमी
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उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई।
- राजेंद्र मनचंदा बानी
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी माज़ूर को देखोगे तो याद आऊंगा।
- वसी शाह
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ग़म बयां करने का कोई और ढंग ईजाद कर,
तेरी आंखों का यह पानी तो पुराना हो गया।
- वसीम बरेलवी
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
- वसीम बरेलवी
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हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
- साहिर लुधियानवी
हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'
उदासी बाल खोले सो रही है
- नासिर काज़मी
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जिसको बड़ा ग़ुरूर था अपने वजूद पर,
वो आफ़ताब शाम की चौखट पे मर गया।
- शाहिद सागरी
वो पलकों पै आ ही गया बन के आंसू,
ज़ुबां पे न हम ला सके जो फ़साना।
- हसरत सुहवाई
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मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए
बहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं
- नासिर काज़मी
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दर
आरज़ू की आरज़ू होने लगी
- दाग़ देहलवी
मिज़ाज' शायरों के अल्फ़ाज़ |
'मिज़ाज' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़
अपनी आदत कि सब से सब कह दें
शहर का है मिज़ाज सन्नाटा
- सलमान अख़्तर
मिज़ाज शेर, मिज़ाज शायरी,
कुछ तो इनायतें हैं मिरे कारसाज़ की
और कुछ मिरे मिज़ाज ने तन्हा किया मुझे
- अकरम नक़्क़ाश
अभी फिर रहा हूँ मैं आप-अपनी तलाश में
अभी मुझ से मेरा मिज़ाज ही नहीं मिल रहा
- तारिक़ नईम
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दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
- दाग़ देहलवी
चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछते हो
हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है
- लाला माधव राम जौहर
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फिर मिरी आँख हो गई नमनाक
फिर किसी ने मिज़ाज पूछा है
- असरार-उल-हक़ मजाज़
सब गए पूछने मिज़ाज उन का
मैं गया अपनी दास्ताँ ले कर
- जलील मानिकपूरी
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पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा
- फ़हमी बदायूंनी
तू जिधर जाए दिन निकल आए
रौशनी का मिज़ाज पैदा कर
- नुसरत मेहदी
Mizaj sher,
सूफियाना मिज़ाज है अपना
मस्त रहते हैं अपनी मस्ती में
- राज़िक़ अंसारी