'मौसम' पर कहे शायरों की शायरी
हिंदी शायरी एच
मौसम मौसम फैल रही है ख़ुश्बू
दूर से तुझ को आता देख रहा हूँ
- कुमार पाशी
मिरे मिज़ाज का मौसम अजीब मौसम है
कि जिस के ग़म ने भी हस्ती को रौनक़ें दी हैं
- फ़रहत अब्बास
मौसम शायरी,
दूर से तुझ को आता देख रहा हूँ
- कुमार पाशी
मिरे मिज़ाज का मौसम अजीब मौसम है
कि जिस के ग़म ने भी हस्ती को रौनक़ें दी हैं
- फ़रहत अब्बास
मौसम शायरी,
पेड़ यहाँ कुछ सदा-बहार भी होते हैं
मौसम मौसम तुम भी फूला-फला करो
- क़तील शिफ़ाई
मिरी धूप में आने से पहले
कभी देखे थे मौसम ऐसे
- सरवत हुसैन
मौसम मौसम याद में तेरी तन्हा हम ने काट दिए
इक लम्हे के मेल का रिश्ता सच है कोई रिश्ता भी
- सय्यद आरिफ़
मौसम शेर
मौसम मौसम तुम भी फूला-फला करो
- क़तील शिफ़ाई
मिरी धूप में आने से पहले
कभी देखे थे मौसम ऐसे
- सरवत हुसैन
मौसम मौसम याद में तेरी तन्हा हम ने काट दिए
इक लम्हे के मेल का रिश्ता सच है कोई रिश्ता भी
- सय्यद आरिफ़
मौसम शेर
खिल ही जाएगी कभी दिल की कली
फूल बरसाता हुआ मौसम चले
- अख़्तर सईद ख़ान
पहले मौसम पे तब्सिरा करना
फिर वो कहना जो दिल के अंदर है
- साबिर
क्या भरोसा बदलते मौसम का
रंग कल कुछ था आज और है कुछ
- मोहसिन ज़ैदी
फूल बरसाता हुआ मौसम चले
- अख़्तर सईद ख़ान
पहले मौसम पे तब्सिरा करना
फिर वो कहना जो दिल के अंदर है
- साबिर
क्या भरोसा बदलते मौसम का
रंग कल कुछ था आज और है कुछ
- मोहसिन ज़ैदी
mausam par sher,
फ़ैसले के लिए एक पल था बहुत
एक मौसम गया सोचते सोचते
- नक़्श लायलपुरी
अभी दो चार ही बूँदें गिरीं हैं
मगर मौसम नशीला हो गया है
- मोहम्मद अल्वी
भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहां तक चलोगे किनारे किनारे
- रज़ा हमदानी
mausam shayari,
एक मौसम गया सोचते सोचते
- नक़्श लायलपुरी
अभी दो चार ही बूँदें गिरीं हैं
मगर मौसम नशीला हो गया है
- मोहम्मद अल्वी
भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहां तक चलोगे किनारे किनारे
- रज़ा हमदानी
mausam shayari,
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
- अहमद फ़राज़
Mausam sher,
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
- अहमद फ़राज़
Mausam sher,
हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
- अज़हर इनायती
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
- अज़हर इनायती