सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Jokes Hindi Funny Chutkule Majedar Jokes Padhiye Majedar Jokes


Jokes Padhkar सुबह-शाम हंसने की आदत डाल लें तो कोई भी बीमारी,


  हंसना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है।  Jokes Padhkar सुबह-शाम हंसने की आदत डाल लें तो कोई भी बीमारी,Hindi Funny Chutkule  चाहे मानसिक हो या शारीरिक आपके पास भी नहीं आएगी




हम लेट उठते हैं...
.
इसका मतलब ये नहीं कि...
.
हम आलसी हैं...
.
अरे भाई, हमारे सपने बड़े हैं...!!!


 




Jokes Hindi
शादी वाले घर में दो चीज...
.
जो बार-बार बनती रहती है...
.
.
पहली चाय और दूसरी...
.
रिश्तेदारों का मुंह...!!!





लड़की - मैं ऐसे लड़के से शादी करूंगी,
जिसका कारोबार ऊंचा हो..!
.
.
.
लड़का - तो फिर मुझसे कर लो, मेरी
पहाड़ों पर चाय की दुकान है...!!!

 




Funny Chutkule

गर्लफ्रेंड - मेरी मम्मी को तुम बहुत पसंद आए हो..!
.
.
.
ब्वॉयफ्रेंड - चल पगली... कुछ भी हो... मैं शादी
तो तुमसे ही करूंगा। अपनी मम्मी को बोलना
मुझे भूल जाएं...!!!





टीचर - आज मैं Noun पढ़ाऊंगी!
पप्पू तुम खड़े हो जाओ...
.
पप्पू - जी मैडम...
.
टीचर - लड़की सबसे हंस के बात करती है,
इसमें लड़की क्या है?
.
पप्पू - जी लड़की बिगड़ी हुई है,
सबसे सेटिंग करना चाहती है...!!!

 
 










लड़की स्कूटी से लड़के के सामने जोर से गिरी और
शर्मिंदगी से फौरन खड़ी हो गई...
.
लड़का - ओह माई गॉड... आपको लगी तो नहीं?
.
लड़की - नहीं मैं स्कूटी से ऐसे ही उतरती हूं...!!

 

 



खोया हुआ मोबाइल फोन...
.
सच्चा प्यार और...
.
दो हजार का छुट्टा...
.
सिर्फ किस्मत वालों को ही मिलते हैं...!!!

jokes in hindi for whatsapp, 






मैं तो इतना सोता हूं कि...
.
कभी-कभी डर लगने लगता है...
.
कि कहीं...
.
घरवाले लाश समझ कर जला न दें...!!!



 

Jokes, funny hindi jokes, husband wife jokes, girlfriend boyfriend jokes, jokes in hindi, jokes in hindi for whatsapp, latest

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे