सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पेंगुइन ट्रेलर:‘किलर’ है कीर्ति सुरेश की फिल्म पेंगुइन का ट्रेलर,


Penguin Trailer Keerthy: कीर्ति सुरेश की फिल्म 'पेंगुइन' का ट्रेलर, देखते हुए आपको डर लगेगा



पेंगुइन ट्रेलर: ‘किलर’ है कीर्ति सुरेश की फिल्म 'पेंगुइन' का ट्रेलर, देखते हुए आपको डर लगेगा
'पेंगुइन' का ट्रेलर,




लॉकडाउन के दौरान अमेज़न प्राइम वीडियो अपने दर्शकों के लिए एक से बढ़कर एक कंटेंट लेकर आ रहा है। कल यानी 12 जून के अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना का फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ रिलीज़ होने वाली है। जो एक कॉमेडी फिल्म है। इसके बाद थ्रिलर आपके दरवाज़े पर दस्तक देगा। इसके बाद 19 जून को रिलीज़ होगी कीर्ति सुरेश की थ्रिलर फिल्म 'पेंगुइन', जिसका ट्रेलर आज रिलीज़ कर दिया गया है।



2 मिनट 32 सेकेंड के इस ट्रेलर में आपको भरपूर थ्रिल मिलेगा। ट्रेलर देखते वक्त आपको ‘जोकर’ फिल्म की भी याद आ जाएगी। फिल्म मलायम, तमिल और तेलुगू में रिलीज़ की जाएगी। इस दमदार क्राइम थ्रिलर में कीर्ति सुरेश एक गर्भवती मां की भूमिका निभा रही हैं, जो अपने अतीत से एक रहस्य की खोज और अपने प्रियजनों को बचाने के लिए खतरनाक और शारीरिक रूप से थका देने वाले सफर पर निकलती हैं। इस फिल्म के जरिए ईश्वर कार्तिक निर्देशक की दुनिया में भी पहला कदम रख रहे हैं।






‘पेंगुइन’ की एक्ट्रेस कीर्ति सुरेश ने फिल्म को लेकर कहा, "‘मैंने अब तक जितनी भी फिल्मोंव में काम किया है, निश्चित तौर पर ‘पेंग्विन’ उनमें सबसे रोमांचक और दिलचस्पन फिल्मों में से एक है। एक मां के रूप में, वो सॉफ्ट रिदम और देखभाल करने वाली दोनों ही है, लेकिन साथ ही निडर भी है। उसे समझना थोड़ा मुश्किल है लेकिन वह ईमानदार है और मुझे लगता है कि यही बात दर्शकों के दिल तक पहुंचेगी। बेहद काबिल ईश्वलर कार्तिक के साथ काम करने में काफी मजा आया, उन्‍होंने कहानी में जान फूंक दी। इस फिल्मब को तमिल, तेलुगू में देखना काफी बेहतरीन अनुभव होने वाला है। यह फिल्मम पूरी दुनिया में दर्शकों को जरूर पसंद आएगी'।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे