डॉ.राज सिंह Hindi poetry यदि तुम कहो
बड़े करीब से गुजरे थे
कभी रास्ते हमारे
तुम कहो तो
उसकी कोई निशानी
भेज दूं तुमको
एक जमाना बीत गया
अब यादें हुई धूमिल
तुम कहो तो
तस्वीर कोई पुरानी भेज दूं तुमको
आहे तुम भरते थे
देखकर जिसको
तुम कहो तो
वह ' कॉलेज ' की जवानी
भेज दूं तुमको
आईना भी कभी
इंतजार जिसका करता था
तुम कहो तो
चेहरा वह नूरानी भेज दूं तुमको
तुम्हें नीरस सी लगती होंगी
बातें अब मेरी
तुम कहो तो
कहानी कोई रूहानी
भेज दूं तुमको
कतराते हो तुम शायद
अफसाने मेरी जिंदगी के सुनने में
तुम कहो तो
कोई परियों की कहानी
भेज दूंतुमको