thokar poem |
Hindi thokar poetry, thokar poem
जो चले थे कभी...
राहों में हाथों में हाथ डालकर...
अब मुझे देख वो...
रास्ता बदल लेते हैं...
ताउम्र साथ निभाने का...
वादा करने वाले...
मुझे देख खुद को...
मौसम सा बदल लेते हैं...
हम तो अभी तक...
गिरफ्तार हैं उनकी मोहब्बत में...
मेरा दिल तोड़ कर वो...
शिद्दत से निकल लेते हैं...
हुआ करते थे कभी...
हम भी एक आग का शोला...
अब उनके प्यार में...
हर वक़्त बर्फ सा पिघलते हैं...
खुद से ज्यादा भरोसा...
किया था हमने उनकी वफा पे..
वक्त पड़ने पर वो ही हमें...
ठोकर मार निकल लेते हैं...
ठोकर मार निकल लेते हैं...
राहों में हाथों में हाथ डालकर...
अब मुझे देख वो...
रास्ता बदल लेते हैं...
ताउम्र साथ निभाने का...
वादा करने वाले...
मुझे देख खुद को...
मौसम सा बदल लेते हैं...
हम तो अभी तक...
गिरफ्तार हैं उनकी मोहब्बत में...
मेरा दिल तोड़ कर वो...
शिद्दत से निकल लेते हैं...
हुआ करते थे कभी...
हम भी एक आग का शोला...
अब उनके प्यार में...
हर वक़्त बर्फ सा पिघलते हैं...
खुद से ज्यादा भरोसा...
किया था हमने उनकी वफा पे..
वक्त पड़ने पर वो ही हमें...
ठोकर मार निकल लेते हैं...
ठोकर मार निकल लेते हैं...