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Khwab Par Shayari - ‘ख़्वाब’ पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ - Hindi-Shayarih

‘ख़्वाब’ पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ - Hindi-Shayarih
Khwab Shayari-‘ख़्वाब’ पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़


‘ख़्वाब’ पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ Khwab sher, khwab shayari, khwas par sher, khwab par shayari, ख़्वाब शेर, ख़्वाब शायरी, ख़्वाब पर शेर, ख़्वाब पर शायरी

 
Khwab sher,
ख़्वाब ही ख़्वाब की ताबीर हुआ तो जाना
ज़िंदगी क्यूं किसी आंखों के असर में आई
- अता आबिदी


आईना आईना तैरता कोई अक्स
और हर ख़्वाब में दूसरा ख़्वाब है
- अतीक़ुल्लाह



khwab shayari,
मैं ने जो ख़्वाब अभी देखा नहीं है 'अख़्तर'
मेरा हर ख़्वाब उसी ख़्वाब की ताबीर भी है
- अख़्तर होशियारपुरी


ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
सोचते रहिए कि इस ख़्वाब की ताबीर है क्या
- अहमद अता





ख़्वाब तुम्हारे आते हैं
नींद उड़ा ले जाते हैं
- साबिर वसीम



khwab par shayari,
ख़्वाब देखे थे टूट कर मैं ने
टूट कर ख़्वाब देखते हैं मुझे
- पिन्हां

जिस की कुछ ताबीर न हो
ख़्वाब उसी को कहते हैं
- ज़हीर रहमती


अंधे अदम वजूद के गिर्दाब से निकल
ये ज़िंदगी भी ख़्वाब है तू ख़्वाब से निकल
- आरिफ़ शफ़ीक़



ख़्वाब शायरी,
ख़्वाब-हा-ख़्वाब जिस को चाहा था
रंग-हा-रंग उसी को भूल गया
- जौन एलिया




अब मुझे नींद ही नहीं आती
ख़्वाब है ख़्वाब का सहारा भी
- अजमल सिराज

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