सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Patthar Par Shayari Collection Hindi पत्थर पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़

Hindi पत्थर पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़

Hindi पत्थर पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़




Patthar Par Shayari Collection दिल पत्थर का है लेकिन कुछ लोग ऐसे है जो इसे भी तोड़ गए. Log kahte hai ki mera dil pathar ka hai 





Pathar Shayari


तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता, ये पत्थर हो नहीं सकता




उनके हाथों ने छू लिया होगा मुझको
वरना पत्थर दिल कहाँ पिघलते हैं






लोग कहते है की मेरा दिल पत्थर का है
लेकिन कुछ लोग ऐसे है जो इसे भी तोड़ गए







पत्थर का दिल है मेरा हमसे दिल ना लगाना
शीशे का दिल है तेरा टूटेगा तो, देखेगा सारा जमाना



Hindi patthar shayari,



पत्थर दिल हूँ मैं चलो मान लिया
सहिब तुम मे तो हुनर था तरास लेते








कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर
बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे











वो आराम से है जो पत्थर के है
मुसीबत तो एहसास वालों की है

 







चुप हूँ तो पत्थर न समझ हमें
दिल पे असर हुआ है किसी अपने की बात का


Pathar Dil Shayari,

पत्थरों को शिकायत है कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम
पानी का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते




दिल अब पहले जैसा मासूम नहीं रहा
पत्थर तो नहीं बना मगर अब मोम भी नहीं रहा




जो भरा नही है भावों से, जिसमे बहती रसधार नही
वो हृदय नही है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं






हम कहाँ जाए जज्बात का शीशा लेकर
लफ्ज़ का पत्थर तो यहां हर शख्स चला लेता है



2 Line patther shayari



नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है




अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं




सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा


Patthar shayari, पत्थर पर शेर,




पहला पत्थर याद हमेशा रहता है
दुख से दिल आबाद हमेशा रहता है
- साबिर वसीम

पत्थर होता जाता हूं
हंसने दो या रोने दो
- नज़ीर क़ैसर


पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती
मर जाएं मिरे ख़्वाब न ताबीर के डर से
- पिन्हां

पथराए पथराए चेहरे
आंखें पत्थर आंसू पत्थर
- यज़दानी जालंधरी


चांद भी पत्थर झील भी पत्थर
पानी भी पत्थर लगता था
- नासिर काज़मी


Patthar sher पत्थर पर शायरी,



आज कुआं भी चीख़ उठा है
किसी ने पत्थर मारा होगा
- साहिल अहमद


इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन
कुछ ने मेरा सर फोड़ा हैं कुछ पर मैं ने सर फोड़ा है
- ज़ुबैर अली ताबिश

मारो पत्थर भी तो नहीं हिलता
जम चुका है अब इस क़दर पानी
- नीना सहर


कितने दिल थे जो हो गए पत्थर
कितने पत्थर थे जो सनम ठहरे
- शायर लखनवी

एक ख़बर है तेरे लिए
दिल पर पत्थर भारी रख
- अमीर क़ज़लबाश



Patthar sher, patthar shayari, patthar par sher, patthar par shayari, urdu sher, urdu shayari, पत्थर शेर, पत्थर शायरी, पत्थर पर शेर, पत्थर पर शायरी, उर्दू शेर, उर्दू शायरी

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे