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Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare 2020 Netflix Movie Review: नहीं चमक सके कोंकणा, भूमि के मुश्किल से उगे सेक्स सितारे


नहीं चमक सके कोंकणा, भूमि के मुश्किल से उगे सेक्स सितारे
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कलाकार: कोंकणा सेन शर्मा, भूमि पेडनेकर, विक्रांत मैसी, अमोल पाराशर, आमिर बशीर, कुबरा सैत, करन कुंद्रा आदि।

निर्देशक: अलंकृता श्रीवास्तव

ओटीटी: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: **


प्रकाश झा की शागिर्दी में सिनेमा सीखने वाली अलंकृता श्रीवास्तव बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘टर्निंग 30’ के छह साल बाद अपनी दूसरी फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ रिलीज कर पाईं। केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक विभाग राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम की सरपरस्ती में शुरू हुई फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को दूसरे सरकारी विभाग यानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने सेंसर सर्टिफिकेट देने से ही इंकार दिया था। ये बात तीन साल पहले की है और तब इस बात पर खूब हो हल्ला मचा। इसके बाद जब अलंकृता ने अपनी अगली फिल्म ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ बनाने का ऐलान किया तो इस बार एकता कपूर उनके साथ हो लीं। एकता कपूर जिस रफ्तार से सेमी पोर्न कंटेंट बनाने में लगी हुई हैं, उससे तो लगता है कि जल्द उनकी कैटेगरी के पुरस्कार अलग से शुरू हो जाएंगे।


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डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ कहने को महिला सशक्तीकरण पर बनी फिल्म है जिसमें हिंदी सिनेमा की दो दमदार अदाकाराएं अपने सिनेमा को लेकर होने वाले विवाद की वजह से चर्चा में रहने वाली निर्देशक का खुला हाथ पाकर सारी यौन वर्जनाएं तोड़ने निकल पड़ी हैं। लेकिन फिल्म सीधे ओटीटी पर आई है तो यहां न सेंसर बोर्ड का पंगा है और न विवाद। स्त्री विमर्श का देश में सबसे अहम पहलू यही रहा है कि स्त्री अपनी देह की खुद स्वामिनी है और वह इसे किसी बंधन में न बांधना चाहे तो उस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कमाई वह खुद करेगी या पति की परजीवी रहेगी, ये स्त्री विमर्श का विषय कम ही बना है। इसी मुद्दे को फिल्मी चोला पहनाते समय अलंकृता नौकरी की मजबूरी या पति का सेक्स के प्रति रवैया कहानी में और ले आईं है। ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ में अलंकृता श्रीवास्तव से उम्मीद थी कि वह इस बार बजाय बिस्तर की सनसनी के कुछ दिमाग पर जोर डालने वाला विषय लेकर आएंगी, लेकिन उनकी पहली कमजोर कड़ी इस फिल्म की कहानी ही है।


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कहानी ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ की कुछ खास है भी नहीं। दो बहनें हैं। दोनों अपने अपने जीवन में फैले रायते को समेटने में लगी हैं। डॉली को लगता है दो बच्चों की मां बनने के बाद उसकी कामेच्छा को उसका पति समझता ही नहीं है और उसे ही दोष देता रहता है। किट्टी का कौमार्य भंग हो चुका है और वह एक ऐसे कॉल सेंटर में काम करती है, जहां लड़कों को फोन पर खुश करने के उसे पैसे मिलते हैं। डॉली और किट्टी दोनों की अपनी अपनी कहानी है। दोनों अपने अपने समानांतर आकाश में उड़ने की कोशिशें कर रही हैं। डॉली को डिलीवरी बॉय को फाइव स्टार देने का मौका भी उसकी बढ़िया सर्विस के बाद मिल जाता है। किट्टी को भी फोन पर ही अपना पसंदीदा मौका मिल जाता है।




सुनने में ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ की कहानी रोचक लगती है। लेकिन, किसी शॉर्ट फिल्म के लिए तो ये सही मसाला है पर निर्देशक को तो दो घंटे की फिल्म बनानी है। तो फिर झेलिए। ग्रेटर नोएडा का बिल्डर स्कैम यहां है। छोटे से बच्चे के लैंगिक पसंद का अतार्किक मुद्दा यहां है। और, है एंटी रोमियो दस्ता। साथ में होम डिलीवरी करने वालों का धर्म भी चिप्पी की तरह कहानी पर चिपका है। अलंकृता को जो कहानी सीधे सीधे डॉली और किट्टी की कहानी बनाकर कहनी चाहिए थी, उसे उन्होंने जमाने का जनाजा बना डाला है। कोंकणा और भूमि कहने को भले बहुत बोल्ड और हिम्मती कलाकार हों, लेकिन कोंकणा की अपनी उम्र की बंदिशें हैं, भूमि का जो करियर प्लान है, वह कहानी की मांग के बावजूद उन्हें देह दिखाने की अनुमति देता नहीं है। दोनों से अपने अपने किरदार आधे अधूरे अनमने ढंग से निभते दिखते हैं। अमोल पाराशर की कास्टिंग ही गलत है, हां, विक्रांत मैसी ने पूरी कोशिश की है अपने रोल में ढलने की और इसके लिए की गई उनकी मेहनत परदे पर दिखती भी है।


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कहानी और अदाकारी डिपार्टमेंट में कमजोर पड़ी फिल्म ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ की तीसरी कमजोर कड़ी है इसका म्यूजिक। बैकग्राउंड म्यूजिक इस फिल्म को रत्ती भर भी सपोर्ट नहीं करता। जाहिर है इसकी रिकॉर्डिंग और फिर एडीटिंग में इसका इस्तेमाल निर्देशक के सामने ही हुआ होगा, लेकिन परदे पर पल पल बदले इमोशंस से इसका तालमेल दिखता नहीं है। अच्छा ही है कि ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ सीधे ओटीटी पर रिलीज हो गई, नहीं तो जीवन के दो घंटे सिर्फ आरती बजाज की एडीटिंग और जॉन जैकब की सिनेमैटोग्राफ के लिए खर्च कर देना तो ठीक नहीं ही लगता है। इस वीकएंड इसे तो आप आंख मूद कर मिस कर सकते हैं।


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