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1-मैं परबतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गये
-'राहत' इंदौरी
2-सितमगीरी की तालीमें उन्हें दी हैं यह कह-कहकर,
कि रोते जिस किसी को देख लेना मुस्कुरा देना
-अज्ञात
उनके देखे से जो आ जाती है... | Duniyadari shayari
3-उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पे रौनक,
वो समझते बीमार का हाल अच्छा है
-'गालिब'
4-बेगाने जो शुरू से हैं उनका ज़िक्र क्या ?
अपने भी ग़ैर हो गये इसका मलाल है ।
-'अम्न' लखनवी
5-करीब आओ तो शायद हमें समझ लोगे,
ये फ़ासले तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते हैं
- अज्ञात
आया न एक बार अयादत
6-आया न एक बार अयादत को वो मसीह,
सौ बार मैं फ़रेब से बीमार हो चुका
-'अमीर' मीनाई
7-नहीं ज़रूरी कि मर जाएं जां नीसार तेरे,
यही है मौत कि जीना हराम हो जाए
-'फानी'
8-जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं,
यह क्या हुआ मेरे चेहरे को अर्ज़े-हाल के बाद।
-'आरज़ू' लखनवी
इज़हारे-परेशानी... | dosti duniyadari shayari
9-किस मुंह से ज़बां करती इज़हारे-परेशानी,
जब तुमने मेरी हालत सूरत से न पहचानी।
-'साकिब' लखनवी
10-आप इस दौर के जलते हुए गुलज़ारों को,
कम से कम प्यार की शबनम से बुझाते रहिये
-अज्ञात
11-दोस्तों से हमने वो सदमे उठाये जान पर,
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा ।
-'मीर'
लफ़्ज़-लफ़्ज़ बोलिए, duniyadari sad shayari
12-हर्फ़-हर्फ़ सोचिए, लफ़्ज़-लफ़्ज़ बोलिए,
ग़ौर-ओ-फ़िक्र कीजिए, फिर ज़ुबान खोलिए
-'हक़' कानपुरी
13-दुनिया ने दाग़दार बना दी है ज़िंदगी,
कोना ज़रा सा मैला जो चादर का हो गया।
-'शहाब' मुरादाबादी
मिलने की यही राह... | shayari duniyadari ki
14-मिलने की यही राह, न मिलने की यही राह,
दुनिया जिसे कहते हैं, अजब राहगुज़र है
-'आसी' ग़ाज़ीपुरी
15-सारे चमन को मैं समझता हूं अपना घर,
तू आशियांपरस्त है, जा आशियां बना
-'सीमाब' अकबराबादी
16-कुछ मेरी तबीयत भी वो पहली-सी नहीं है,
कुछ लोगों का अंदाज भी बदला-सा लगे है।
-'अज़ीज़' नहटौरी
सच्चाइयों का कोई ख़रीदार duniyadari shayari hindi
17-यूं तसल्ली दे रहा हूं मैं दिले-बीमार को,
जिस तरह थामे कोई गिरती हुई दीवार को।
-'क़तील' शिफ़ाई
18-सच्चाइयों का कोई ख़रीदार ही न था,
शाख़ों पे फूल सूख गये, ख़ार बिक गये।
-'अशरफ़' मालवी