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HINDI POEM KUCHH LOG ABHI SHAMIYANON ME RAHTE HEIN

 कुछ लोग अभी शामियानों में रहते हैं

 

 

घर-बार तो उनके अरमानों में रहते हैं,
कुछ लोग अभी शामियानों में रहते हैं।

सोचते रहते हैं किसका परचम लगाएं,
जो सरहदों की दरमियानों में रहते हैं।

Hindi poem

कहां ढूंढते हो ज़ुल्म के मास्टर माइंड,
मिल लीजिए जाकर थानों में रहते हैं।

परिंदों से कह दो कि ज़रा होश में रहें,
यहां गिद्ध भी ऊंची उड़ानों में रहते हैं।

फुटपाथ पर करवट बदलने की आहें,
उन्हें मालूम नहीं है मकानों में रहते हैं।

मन्दिर, मस्जिद में तो बंटे हुए हैं लोग,
धर्म एक वाले तो मयखानों में रहते हैं।

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उनका क्या बिगाड़ेंगी ज़हरीली हवाएं,
वो अमीरे शहर हैं तयखानों में रहते हैं।

वो उन्हें भी किराये पर उठा देते मगर,
यूं बचे चांद तारे आसमानों में रहते हैं।

वो सोच ले अपने कल का हश्र ज़रूर,
झूठ जिस राजा के फ़रमानों में रहते हैं।

best poem kuch log

 
मैंने इन आंखों का अहसान नहीं लिया,
मेरे सारे आंसू मेरी मुस्कानों में रहते हैं।

उन्हें मालूम कैसे हों हुज़रे की साज़िशें,
ज़फ़र बूढ़े हैं घर के दालानों में रहते हैं।

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