सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Hindi Storybookjs : Htash Jindgi Ka Ant Part 1

 Hindi Storybookjs : हताश जिंदगी का अंत-भाग 1: प्रीती घर पहुंची तो क्या देखा?

Hindi Storybookjs : हताश जिंदगी का अंत-भाग 1: प्रीती घर पहुंची तो क्या देखा?
 storybook js




 
थाना प्रभारी रवींद्र कुमार ने मृतका श्यामा के नशेड़ी पति राम भरोसे के पकड़े जाने की खबर पुलिस अधिकारियों को दी तो पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा तथा अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार कोतवाली आ गए.
सुरेशचंद्र मिश्र





श्यामा ने ज्यादा कुछ तो नहीं चाहा था जीवन में, लेकिन उसे मिला क्या. जिसे प्यार किया वह मिला नहीं. पति मिला शराबीकबाबी. एक के बाद एक बेटियों का जन्म, उन की जिम्मेदारी. ऊपर से पैसे की किल्लत. जिंदगी से हार गई थी वह…

श्यामा निरंकारी बालिका इंटर कालेज में रसोइया के पद पर कार्यरत थी. वह छात्राओं के लिए मिडडे मील तैयार करती थी. श्यामा 2 दिन से काम पर नहीं आ रही थी. जिस से छात्राओं को मिडडे मील नहीं मिल पा रहा था. श्यामा शांति नगर में रहती थी. वह काम पर क्यों नहीं आ रही है, इस की जानकारी करने के लिए कालेज की प्रधानाचार्य ने एक छात्रा प्रीति को उस के घर भेजा. प्रीति, श्यामा के पड़ोस में रहती थी. और उसे अच्छी तरह से जानतीपहचानती थी.

प्रीति सुबह 9 बजे श्यामा के घर पहुंची. घर का दरवाजा अंदर से बंद था. छात्रा प्रीति ने दरवाजे की कुंडी खटखटाई लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला और न ही कोई हलचल हुई. श्यामा की बेटी प्रियंका, प्रीति की सहेली थी और उस की कक्षा में पढ़ती थी. सो, प्रीति ने आवाज दी, ‘‘प्रियंका, ओ प्रियंका, दरवाजा खोलो. मु झे मैडम ने भेजा है.’’ पर फिर भी दरवाजा नहीं खुला और न ही किसी प्रकार की हलचल हुई.



storybook js हताश जिंदगी का अंत

 

 

पड़ोस में श्यामा का ससुर रामसागर रहता था. प्रीति ने दरवाजा न खोलने की जानकारी उसे दी तो रामसागर मौके पर आ गया. उस ने दरवाजा पीटा और बहूबहू कह कर आवाज दी, परंतु दरवाजा नहीं खुला. रामसागर ने दरवाजे की  िझर्री से  झांकने का प्रयास किया तो उस के नथुनों में तेज बदबू समा गई. उस ने किसी गंभीर वारदात की आंशका से पड़ोसियों को बुला लिया. पड़ोसियों ने उसे पुलिस में सूचना देने की सलाह दी. यह बात 1 फरवरी 2020 की है.

सुबह 10 बजे रामसागर बदहवास फतेहपुर सदर कोतवाली पहुंचा. उस समय कोतवाल रवींद्र कुमार कोतवाली में मौजूद थे. उन्होंने एक वृद्ध व्यक्ति को बदहवास हालत में देखा तो पूछा, ‘‘क्या परेशानी है. तुम इतने घबराए हुए क्यों हो? जो भी परेशानी हो, बताओ. हम तुम्हारी मदद करेंगे.’’

‘‘हुजुर, मेरा नाम रामसागर है. मै कोतवाली थाने के शांतिनगर महल्ले में रहता हूं. पड़ोस में हमारा पुत्र रामभरोसे अपनी पत्नी श्यामा व 4 पुत्रियों के साथ रहता है. उस के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद है और भीतर से दुर्गंध आ रही है. हमें किसी अनिष्ट की आशंका है. आप मेरे साथ जल्दी चलने की कृपा करें.

hindi kahani हताश जिंदगी का अंत


रामसागर ने जो बात बताई थी, वह वास्तव में गंभीर थी. सो, थाना प्रभारी रवींद्र कुमार ने आवश्यक पुलिस बल साथ लिया और रामसागर के साथ उस के पुत्र रामभरोसे के घर पहुंच गए. उस समय वहां पड़ोसियों का जमघट था और लोग दबी जबान से अनेक प्रकार के कयास लगा रहे थे. थाना प्रभारी रवींद्र कुमार लोगों को परे हटाते दरवाजे पर पहुंचे. दरवाजा अंदर से बंद था. उन्होंने आवाज दे कर दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे. कमरे के अंदर मां और उस की 4 बेटियां थीं. कमरे के अंदर से दुर्गंध भी आ रही थी. स्पष्ट था कि कोई गंभीर बात है. थाना प्रभारी रवींद्र कुमार ने पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी.

जानकारी प्राप्त होते ही पुलिस अधीक्षक प्रशांत, अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार तथा सीओ (सिटी) कपिल देव मौके पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने पहले जानकारी जुटाई. फिर थाना प्रभारी रवींद्र कुमार को कमरे का दरवाजा तोड़ने का आदेश दिया. आदेश पाते ही उन्होंने अन्य पुलिस कर्मियों की मदद से कमरे का दरवाजा तोड़ दिया. दरवाजा टूटते ही तेज दुर्गंध का भभूका सभी के नथुनों में समा गया.

पुलिस अधिकारियों ने कमरे के अंदर प्रवेश किया तो उन के दिल कांप उठे. कमरे का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर 5 लाशें आड़ीतिरछी एकदूसरे के ऊपर पड़ी थीं. मृतकों की पहचान राम सागर ने की. उस ने बताया कि मृतकों में एक उस की बहू श्यामा है तथा अन्य 4 उस की नातिन पिंकी (20 वर्ष), प्रियंका (14 वर्ष), वर्षा (13 वर्ष) तथा रूबी उर्फ ननकी (10 वर्ष) है.

New hindi kahani हताश जिंदगी का अंत

 

सभी लाशें फर्श पर पड़ी थीं. देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सभी ने जहरीला पदार्थ पी कर आत्महत्या की थी. क्योंकि लाशों के पास ही एक भगैने में जहरीला पदार्थ आटे में घोला गया था. शायद इसी पदार्थ को पी कर मां तथा बेटियों ने आत्महत्या की थी. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर जांच हेतु फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच की और कमरे से 7 पैकेट जहरीला पदार्थ (क्विक फौस) बरामद किया. इन में 4 पैकेट खाली थे और 3 पैकेट भरे थे.

फोरैंसिक टीम ने जहरीले पदार्थ के पैकेट जांच हेतु सुरक्षित कर लिए. भगोना तथा उस में घोला गया जहरीला पदार्थ भी जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. इस के अलावा टीम ने अन्य साक्ष्य भी जुटाए.

अब तक मां व उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या कर लेने की खबर जंगल की आग की तरह शांतिनगर एवं आसपास के महल्लों मे फैल गई थी. सैकड़ों की भीड़ घटनास्थल पर इकट्ठी हो गई थी. जिस ने भी मांबेटियों के शवों को देखा उसी की आंखों में आंसू आ गए. पड़ोसी महिलाएं तो फूटफूट कर रो रही थीं.

श्यामा तथा उस की बेटियों की मौत की खबर निरंकारी बालिका इंटर कालेज पहुंची तो शोक की लहर दैड़ गई. प्रधानाचार्य ने कालेज में शोक संवेदना व्यक्त की, उस के बाद कालेज में छुट्टी कर दी गई. छुट्टी के बाद अनेक छात्राएं शांतिनगर स्थित मृतकों के घर पहुंचीं और सहेलियों के शव देख कर फूटफूट कर रोईं. दरअसल, मृतका प्रियंका, रूबी और वर्षा निरंकारी बालिका इंटर कालेज में ही पढ़ती थीं. उन के साथ पढ़ने वाली छात्राएं ही अंतिम विदाई के वक्त घर पहुंची थीं.

जांचपड़ताल के बाद पुलिस अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि श्यामा ने आर्थिक तंगी व शराबी पति की क्रूरता से तंग आ कर अपनी पुत्रियों सहित आत्महत्या की है. हत्या जैसी कोई बात नही थी. सो, पुलिस अधिकारियों ने पांचों शवों का पंचनामा भरवा कर और अलगअलग सील मोहर करा कर पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दिया.

घर से 5 लाशें जरूर बरामद हुई थीं लेकिन घर के मुखिया रामभरोसे का कुछ अतापता न था. पुलिस अधिकारियों ने उस के संबंध में पिता रामसागर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रामभरोसे शराबी है. वह दिनभर मजदूरी करता है और शाम को शराब के ठेके पर पहुंच कर शराब पीता है. उस की तलाश ढाबों व शराब ठेकों पर की जाए तो वह मिल सकता है.

पुलिस अधीक्षक प्रशांत ने सीओ (सिटी) कपिल देव की निगरानी में पुलिस की एक टीम बनाई और रामभरोसे की खोज में लगा दी. पुलिस टीम ने कई शराब ठेकों पर उस की खोज की, लेकिन उस का पता नहीं चला. पुलिस टीम रामभरोसे की खोज करते जब जीटी रोड स्थित एक ढाबे पर पहुंची तो वह वहां बरतन साफ करते मिल गया. रामभरोसे को हिरासत में ले कर पुलिस टीम वापस सदर कोतवाली लौट आई.

Best hindi kahani हताश जिंदगी का अंत

थाना प्रभारी रवींद्र कुमार ने मृतका श्यामा के नशेड़ी पति राम भरोसे के पकड़े जाने की खबर पुलिस अधिकारियों को दी तो पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा तथा अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार कोतवाली आ गए. पुलिस अधिकारियों ने जब रामभरोसे को पत्नी और 4 पुत्रियों द्वारा आत्महत्या करने की जानकारी दी तो उस के चेहरे पर पत्नी व बेटियों के खोने का कोई गम नहीं दिखा. पूछताछ में उस ने बताया कि उस की नशेबाजी को ले कर घर में अकसर  झगड़ा होता था. 3 दिन पूर्व उस का पत्नी से  झगड़ा व मारपीट हुई थी. परेशान हो कर श्यामा ने जहर खा कर जान देने की धमकी दी थी. लेकिन उस ने यह नहीं सोचा था कि श्यामा सचमुच बेटियों संग जान दे देगी. हुजूर, पूरा परिवार चौपट हो गया है. अब ऐसा लगता है कि कोई उसे भी ला कर जहर देदे तो खा कर मर जाए.



अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने एक नफरतभरी दृष्टि रामभरोसे पर डाली फिर बोले, ‘‘रामभरोसे, तुम्हारी क्रूरता और नशेबाजी के कारण तुम्हारी पत्नी व बेटियों ने अपनी जान दे दी. वह तो मर गईं, लेकिन तु झे तिलतिल मरने को छोड़ गईं. अब पश्चात्ताप के आंसू बहाने से कोई फायदा नहीं. तुम्हें तुम्हारे किए कर्म की सजा कानून देगा. वक्त की मार से न कोई बच पाया है और न तुम बचोगे. तुम्हारी पत्नीबेटियों को इंसाफ जरूर मिलेगा.



पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने थाना प्रभारी रवींद्र कुमार को आदेश दिया कि वे रामभरोसे के विरुद्ध आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज करें और उसे जेल भ्ेजें. आदेश पाते ही रवींद्र कुमार ने मृतका श्यामा के ससुर रामसागर को वादी बना कर भा.द.वि. की धारा 309 के तहत राम भरोसे के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया और उसे विधि सम्मत बंदी बना लिया. पूछताछ में श्यामा की हताश जिंदगी की अंत की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.








हताश जिंदगी का अंत-भाग 2: प्रीती घर पहुंची तो क्या देखा?

 
पिंकी ने अपनी बेटी का नाम प्रियंका रखा था.







फतेहपुर जनपद की खागा तहसील के बहुआ ब्लौक के अंतर्गत एक गांव पड़ता है-नौगांव. दलितबाहुल्य इस गांव में जयराम रैदास अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 3 संतानें थीं. बेटे का नाम रामप्रकाश था, जबकि बेटियों में श्यामा व रामदेवी थीं. जयराम के पास कृषि योग्य भूमि नाममात्र की थी. सो, वह दूसरों की जमीन बंटाई पर ले कर फसल तैयार करता था. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. अतिरिक्त आमदनी के लिए जयराम साप्ताहिक बाजार में जूताचप्पल की मरम्मत का काम भी करता था.

श्यामा जयराम की संतानों में सब से बड़ी थी. श्यामा बचपन से ही खूबसूरत थी. उस ने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उस का जिस्म खिल उठा. श्यामा अपने मातापिता के साथ खेत पर काम करने जाती थी. आतेजाते गांव के मनचले युवक उसे घूरघूर कर देखते थे. भद्दे मजाक व फब्तियां कसते  थे लेकिन श्यामा उन को भाव नहीं देती थी.

श्यामा को चाहने वालों में एक गनपत भी था. वह उसी की जातिबिरादरी का था और दिखने में स्मार्ट था. वह गांव के जूनियर हायर सैकंडरी स्कूल में सफाई कर्मचारी था. श्यामा भी उसे मन ही मन चाहती थी. लेकिन दिल की बात कभी जबान पर नहीं ला पाती थी. श्यामा और गनपत की उम्र में यद्यपि 5-6 वर्ष का अंतर था फिर भी वह उस की ओर आकृष्ट थी.

एक रोज श्यामा और गनपत को बगीचे में हंसतेबतियाते श्यामा के भाई प्रकाश ने देख लिया. उस ने यह बात अपने मांबाप को बता दी. इस के बाद तो घर में कलह मच गई. जयराम ने श्यामा को ख्ूब खरीखोटी सुनाई और गनपत से न मिलने की हिदायत दी. मां ने भी श्यामा को प्यार से सम झाया और गनपत से नयनमटक्का न करने की सलाह दी. दरअसल, जयराम और उस की पत्नी गांव के युवक के साथ बेटी की शादी करने को राजी न थे. दूसरे, जयराम की गनपत के परिवार से पुरानी दुश्मनी भी थी.

श्यामा अपने मांबाप की चहेती थी. वह उन की कद्र भी करती थी. इसलिए उस ने बड़ी आसानी से मांबाप की बात मान ली और गनपत से मिलनाजुलना बंद कर दिया. एक दिन गनपत ने उस का रास्ता  रोका और जबरदस्ती हाथ पकड़ा तो उस ने उस की शिकायत अपने तथा गनपत के घर वालों से कर दी. छेड़छाड़ को ले कर तब दोनों परिवारों में जम कर तूतू मैंमैं हुई. लेकिन इस छेड़छाड़ से जयराम को आभास हो गया कि उस की बेटी श्यामा अब जवान हो गई है. अब उसे उस की शादी जल्द ही कर देनी चाहिए.

जयराम ने इस बाबत अपनी पत्नी से विचारविमर्श किया. उस के बाद वह श्यामा के योग्य घरवर की खोज में जुट गया. उस ने नातेरिश्तेदारों को भी कोई बेटी के योग्य लड़का बताने को कहा. जयराम ने खागा, धाता तथा किशनपुर में बेटी के योग्य लड़के पसंद किए. लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह रिश्ता पक्का न कर सका. आखिर में एक रिश्तेदार के माध्यम से उसे एक लड़का रामभरोसे पसंद आ गया.

रामभरोसे का पिता रामसागर रैदास, फतेहपुर शहर के शांतिनगर महल्ले में रहता था. उस के परिवार में पत्नी गौरादेवी के अलावा 2 पुत्र दिनेश तथा रामभरोसे थे. रामसागर का शांति नगर में पुश्तैनी मकान था.

वह ट्रक व ट्रैक्टर की कमानी की मरम्मत करने वाली दुकान पर काम करता था. उस ने रामभरोसे को भी इसी दुकान पर काम करने के लिए लगा लिया था. रामभरोसे शरीर से तो स्वस्थ था किंतु उस का रंग काला था. राम भरोसे के पिता रामसागर से जयराम ने अपनी बेटी श्यामा की शादी की बात चलाई तो वह बिना दहेज बेटे की शादी करने को राजी हो गया. इस के बाद वर्ष 1996 में श्यामा का विवाह रामभरोसे के साथ हो गया.

शादी के लाल जोडे़ में लिपटी श्यामा पहली बार ससुराल पहुंची तो सभी ने उस के रूपसौंदर्य की प्रशंसा की. सुहागरात को रामभरोसे ने जब उस का घूंघट पलटा तो चांद सा सुंदर मुखड़ा देख कर वह ठगा सा रहा गया. वहीं दूसरी ओर, जब श्यामा ने कालेकलूटे पति को देखा तो उस के सपने बिखर गए. श्यामा ने जिस सुदर्शन युवक के सपने संजोए थे रामभरोसे उस के जैसा नहीं था. लेकिन श्यामा ने यह मान कर कि जैसा पति लिखा था वैसा मिला. रामभरोसे को स्वीकार कर लिया.

श्यामा ने ससुराल आते ही घरगृहस्थी का काम संभाल लिया था. उस ने अपने सरल स्वभाव तथा सेवासुश्रुषा से सासससुर का दिल जीत लिया था. वे उस की तारीफ करते नहीं अघाते थे. हंसीखुशी से जीवन व्यतीत करते 3 वर्ष बीत गए. इन 3 वर्षों में श्यामा ने एक सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया. उस का नाम उस ने पिंकी रखा. पिंकी के जन्म से पूरे घर में खुशी छा गई. उस की किलकारियों से उस का घरआंगन गूंजने लगा.

पिंकी के जन्म के 5 वर्ष बाद श्यामा ने एक और बेटी को जन्म दिया. उस का नाम उस ने प्रियंका रखा. रामभरोसे का परिवार बढ़ा तो उसे खर्च की चिंता सताने लगी. रामभरोसे की आय सीमित थी. दुकान पर उसे जो पैसा मिलता उसे वह घरगृहस्थी चलाने को पिता को देता था. पत्नी के हाथ पर कुछ भी नहीं रख पाता था. जिस से श्यामा को छोटेछोटे खर्च के लिए भी ससुर रामसागर का मुंह देखना पड़ता था. रामसागर कभी तो पैसे दे देता तो कभी इंकार भी कर देता था.

श्यामा को एक पुत्र की चाहत थी, ताकि वंशबेल आगे बढ़े. कुदरत ने उस की यह चाहत तो पूरी नहीं की बल्कि उस की गोद में एक के बाद एक 2 बेटियां और डाल दीं. इन बेटियों का नाम उस ने वर्षा तथा रूबी रखा. इस तरह अब श्यामा की 4 बेटियां पिंकी, प्रियंका, वर्षा और रूबी घरआंगन में कूदनेफुदकने लगीं. श्यामा की सास बारबार बेटी के जन्म से श्यामा से नाराज रहने लगी थी. अब वह उसे हीनभावना से देखने लगी थी और उस के काम में टोकाटाकी करने लगी थी.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे