vishal bagh shayari |
जब वो बोले कि कोई प्यारा था उनका मेरी तरफ़ इशारा था
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जब वो बोले कि कोई प्यारा था
उनका मेरी तरफ़ इशारा था
हम निकल आए जिस्म से बाहर
उसने कुछ इस तरह पुकारा था
फेर देता था वो नज़र अपनी
हर नज़र का यही उतारा था
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डूब जाना ही ठीक था मेरा
मेरे दोनों तरफ़ किनारा था
आख़िरश बोझ हो गया देखो
मुझको जो जिस्म जां से प्यारा था
साफ़ दिखता है तेरे चेहरे पे
साफ़ दिखता है तेरे चेहरे पे
इश्क़ डाले है डेरे चेहरे पे
इतनी शिद्दत से देखिए मुझको
नील पड़ जाएं मेरे चेहरे पे
इतनी आंखें नहीं है दुनिया में
जितने चेहरे हैं तेरे चेहरे पे
सोलहवां साल लग गया जैसे
उसने जब हाथ फेरे चेहरे पे
हम तुझे देख ही नहीं पाए
इतनी नज़रें थी तेरे चेहरे पे