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Hindi Poem Manzilen, Manzil Ki Talash Shayari in Hindi हिंदी कविता मंज़िलें - हिन्दी शायरी एच

 
Hindi Poem Manzilen, Manzil Ki Talash Shayari in Hindi हिंदी कविता मंज़िलें
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 शिरीन भावसार 
 
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मंजिलें इंतजार करती हैं
 बरसों बरस ... 
नींव के पत्थर की भांति 
अडिग रहती हैं ... 
 
 
सराय की मानिंद 
कभी 
बाहें पसारे 
स्वागत को आतुर 
कभी
 आगंतुक के
 पलायन को स्वीकारती ... 
 
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कई कारवां गुजरते हैं
 ठहरते हैं , 
छूते हैं , 
खुशियां महसूसते हैं 
फिर ... आगे बढ़ जाते हैं 
पुन : एक नई मंजिल गढ़ते हैं .. 
 
 
 
 
पीछे छोड़ी गई 
मंजिलों के हिस्से फिर 
एक इंतजार लिख जाते हैं ... 
 
 
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यादों और लम्हों की 
निशानियों को 
वक्त की गर्द से लीप - पोतकर 
मिटाती मंजिल भी
 दुखती तो होगी ... 
 
 
किसी का भी गुजर जाना 
महज एक घटना भी तो नहीं ...
 
 
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