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Jeest Shayari Collection हिंदी शायरी एच 'ज़ीस्त' पर कहे शायरों


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पहले शराब ज़ीस्त थी अब ज़ीस्त है शराब
कोई पिला रहा है पिए जा रहा हूँ मैं
- जिगर मुरादाबादी


ज़ीस्त का इक गुनाह कर सके न हम
सांस के वास्ते भी मर सके न हम
- ख़ुमार कुरैशी

जब बढ़ गई उम्र घट गई ज़ीस्त
जो हद से ज़ियादा हो वो कम है
- मुनीर शिकोहाबादी


मौत से ज़ीस्त की तकमील नहीं हो सकती
रौशनी ख़ाक में तहलील नहीं हो सकती
- नजीब अहमद

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया
- मिर्ज़ा ग़ालिब


किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम
हमारे प्यार की देखो ये इंतिहा साहब
- इन्दिरा वर्मा

अंधा सफ़र है ज़ीस्त किसे छोड़ दे कहाँ
उलझा हुआ सा ख़्वाब है ताबीर क्या करें
- अकरम नक़्क़ाश


हमारी ज़ीस्त में ऐसे भी लम्हे आते हैं अक्सर
दरारों के तवस्सुत से हवा देती हैं दीवारें
- ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

मरहले ज़ीस्त के आसान हुए
शहर कुछ और भी वीरान हुए
- बाक़ी सिद्दीक़ी


ज़ीस्त में तारीकियाँ बढ़ती गईं
लम्हा लम्हा सिसकियाँ बढ़ती गईं
- गौहर सीमा

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