सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Dosti Takrar Narazgi Shayari Collection दोस्ती तकरार और नाराज़गी पर कहे गये बेहतरीन शेर

दोस्ती तकरार और नाराज़गी पर कहे गये बेहतरीन शेर
Dosti Takrar Narazgi Shayari Collection




takrar shayari in hindi नाराज़गी शायरी 2 लाइन्स  दोस्ती तकरार और नाराज़गी पर कहे गये बेहतरीन शेर 



 फूल कर ले निबाह काँटों से 
आदमी ही न आदमी से मिले 
- ख़ुमार बाराबंकवी



जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
- अहसन मारहरवी



narazgi shayari 2 lines | दोस्ती तकरार शायरी


सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
- महावीर उत्तरांचली





भूले से कहा मान भी लेते हैं किसी का
हर बात में तकरार की आदत नहीं अच्छी
- बेख़ुद देहलवी



दोनों जहान दे के वो समझे ये ख़ुश रहा
याँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें
- मिर्ज़ा ग़ालिब


नाराज़गी शायरी 2 लाइन्स


या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से 
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है 
- जिगर मुरादाबादी



कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ 
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए 
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




narazgi shayari for gf | तकरार शायरी इन हिंदी लव



इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले 
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते 
- असद भोपाली


ज़रा सी बात पे नाराज़गी अगर है यही 
तो फिर निभेगी कहाँ दोस्ती अगर है यही 
-मुर्तज़ा बरलास


नाराज़गी शायरी Takrar shayari


ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने 
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता 
- चराग़ हसन हसरत


चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है 
लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई 
- अख़्तर अंसारी अकबराबादी


तकरार शायरी इन हिंदी


कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से 
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है 
- ख़ुर्शीद तलब



सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले 
तू ने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले 
- आनंद नारायण मुल्ला




takrar shayari in hindi love | तकरार शायरी



इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ 
ऐ संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ 
- अर्श सिद्दीक़ी



या ख़फ़ा होते थे हम तो मिन्नतें करते थे आप 
या ख़फ़ा हैं हम से वो और हम मना सकते नहीं 
- मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस



 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे