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Mohammad Alvi Shayari मोहम्मद अल्वी के शेर - Hindi Shayari h


Mohammad Alvi Shayari मोहम्मद अल्वी के शेर
मोहम्मद अल्वी शायरी
 
 
 
 


आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊं

मोहम्मद अल्वी की शायरी

घर में सामां तो हो दिलचस्पी का
हादसा कोई उठा ले जाऊं


इक दिया देर से जलता होगा
साथ थोड़ी सी हवा ले जाऊं



लम्बी सड़क पे दूर तलक कोई भी न था
पलकें झपक रहा था दरीचा खुला हुआ
 

मोहम्मद अल्वी शेर

तिरा न मिलना अजब गुल खिला गया अब के
तिरे ही जैसा कोई दूसरा मिला मुझ को


ज़मीं छोड़ने का अनोखा मज़ा
कबूतर की ऊंची उड़ानों में था


सदियों से किनारे पे खड़ा सूख रहा है
इस शहर को दरिया में गिरा देना चाहिए

mohammad alvi shayari

किसी से कोई तअल्लुक़ रहा न हो जैसे
कुछ इस तरह से गुज़रते हुए ज़माने थे

कितना मुश्किल है ज़िंदगी करना
और न सोचो तो कितना आसां है


हर वक़्त खिलते फूल की जानिब तका न कर
मुरझा के पत्तियों को बिखरते हुए भी देख

 




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