बेस्ट ऑफ़ ख़ुमार बाराबंकवी की शायरी इन हिंदी khumar barabankvi mushaira
जा शौक़ से लेकिन पलट आने के लिए जा
हम देर तलक ख़ुद को संभाले न रहेंगे
दो परिंदे उड़े आंख नम हो गई
आज समझा कि मैं तुझ को भूला नहीं
जान-ए-बहार फूल नहीं आदमी हूं मैं
आ जा कि मुस्कुराए ज़माने गुज़र गए
खुमार बाराबंकवी मुशायरा
संभाले तो हूं ख़ुद को तुझ बिन मगर
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
खुमार बाराबंकवी शायरी हिंदी
अक़्ल ओ दिल अपनी अपनी कहें जब 'ख़ुमार'
अक़्ल की सुनिए दिल का कहा कीजिए
झुंझलाए हैं लजाए हैं फिर मुस्कुराए हैं
किस एहतिमाम से उन्हें हम याद आए हैं
न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है
ख़ुमार बाराबंकवी शेर