Short Hindi Kahani Reading : Kagaj ke Chand Tukato Ka Mohtaaj Meenakshi Singh कागज के चंद टुकड़ों का मोहताज रिश्ता
Short Story: कागज के चंद टुकड़ों का मोहताज रिश्ता
नमित जब रोहिणा को दूबारा वापस लेने घर आया तो रोहिणी ने गुस्सा करते हुए उसे सारी सच्चाई बता दी की मेरे पेट में पलने वाला बच्चा तुम्हारा नहीं है.
लेखिका-मीनाक्षी सिंह
रोहिणी और नमित की शादी को 10 साल पूरे होने को थे. दांपत्य के इस मोड़ पर रोहिणी द्वारा तलाक के लिए अर्जी देना सब को अचंभित कर रहा था. कभी तलाक नमित ही चाहता था और रोहिणी किसी भी शर्त पर उसे तलाक देने के पक्ष में नहीं थी.
2 साल तक रोहिणी की शादी के लिए लड़का तलाश करने के बाद जब नमित के पापा ने मनचाहा दहेज देने के लिए रोहिणी के पापा द्वारा हामी भरे जाने पर शादी के लिए हां की, तो एक बेटी के मजबूर पिता के रूप में रोहिणी के पिता रमेश बेहद खुश हुए.
अपनी समझदार खुद्दार बेटी रोहिणी की शादी नमित के साथ कर के रमेश अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री समझ कर पत्नी के साथ गंगा स्नान को निकल गए. इन सब बातों से बेखबर कि उधर ससुराल में उन की लाड़ली को लोगों की कैसी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है.
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शादी में चेहरेमोहरे पर लोगों द्वारा छींटाकशी तो आम बात है, लेकिन जब पति भी अपनी पत्नी के रंगरूप से संतुष्ट न हो, तो पत्नी के लिए लोगों के शब्दबाणों का सामना करना बड़ा मुश्किल लगता है.
रोहिणी सोच से बेहद मजबूत किस्म की लड़की थी, धीरेधीरे तानोंउलाहनों को नजरअंदाज करते हुए उस ने घर की जिम्मेदारी बखूबी संभाल ली थी.
कुछ महीने बाद, शादी के पहले, शिक्षक के लिए दी गई प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट आया, जिस में रोहिणी का चयन हुआ और रोहिणी एक शिक्षक बनने की दिशा में आगे बढ़ गई.
इस खुशखबरी और रोहिणी के अच्छे व्यवहार से उस के प्रति घर वालों का नजरिया बदलने लगा था. नमित भी अब रोहिणी से खुश रहने लगा था, पैसा अपने अंदर, किसी के प्रति किसी का नजरिया बदलवाने का खूबसूरत माद्दा रखता है. यही अब उस घर में दृष्टिगोचर हो रहा था.
शादी के 5 साल पूरे होने को थे और रोहिणी की गोद अभी तक सूनी थी. यह बात अब आसपास और परिवार के लोगों को खटकने लगी थी, तो नमित तक भी यह खटकन पहुंचनी ही थी.
शुरू में नमित ने मां को समझाने की कोशिश की, पर दादी शब्द सुनने की उम्मीद ने एक बेटे के समझाते हुए शब्दों के सामने अपना पलड़ा भारी रखा और नमित की मां इस जिद पर अड़ी रही कि अब तो उन्हें एक पोता चाहिए ही चाहिए.
आखिर कब तक… कहते हैं कि अगर किसी बात को बारबार सुनाया जाए, तो वही बात हमारे लिए सचाई सी बन जाती है, ठीक उसी तरह लोगों के द्वारा रोहिणी के मां न बनने की बात सुनतेसुनते नमित को लगने लगा कि अब रोहिणी को मां बनना ही चाहिए और उस के दिमाग पर भी पिता बनने की ख्वाहिश गहराई से हावी होने लगी. उस ने रोहिणी से बात की और उसे चेकअप के लिए ले गया.
रोहिणी की रिपोर्ट नौर्मल आई, इस के बावजूद काफी कोशिश के बाद भी वह पिता नहीं बन सका. अब रोहिणी भी नमित पर दबाव डालने लगी कि उस की सभी रिपोर्ट नौर्मल हैं, तो एक बार उसे भी चेकअप करवा लेना चाहिए, लेकिन नमित ने उस की बात नहीं मानी. वह अपना चेकअप नहीं करवाना चाहता था, क्योंकि उस के अनुसार उस में कोई कमी हो ही नहीं सकती थी.
मां चाहती थीं कि नमित रोहिणी को तलाक दे कर दूसरी शादी कर ले, वह खुल कर तो मां की बात का समर्थन नहीं कर रहा था, पर उस के अंतर्मन को कहीं न कहीं अपनी मां का कहना सही लग रहा था. एक पति पर पिता बनने की ख्वाहिश पूरी तरह हावी हो चुकी थी.
धीरेधीरे उम्मीद की किरण लुप्त सी होने लगी थी, अब उस घर में सब चुपचुप से रहने लगे थे. खासकर रोहिणी के प्रति सभी का व्यवहार कटाकटा सा था. घर वालों के रुखे व्यवहार ने रोहिणी को भी काफी चिड़चिड़ा बना दिया था.
एक दिन नमित ने रोहिणी को समझाने की कोशिश की, ‘‘देखो रोहिणी, वंश चलाने के लिए एक वारिस की जरूरत होती है और मुझे नहीं लगता कि अब तुम इस घर को कोई वारिस दे पाओगी. इसलिए तुम तलाक के कागजात पर साइन कर दो.
‘‘और यकीन रखो, तलाक के बाद भी हमारा रिश्ता पहले जैसा ही रहेगा. हमारा रिश्ता कागज के चंद टुकड़ों का मोहताज कभी नहीं होगा. भले ही हम कानूनी रूप से पतिपत्नी नहीं रहेंगे, पर मेरे दिल में हमेशा तुम ही रहोगी.’’
नाम के लिए कागज पर मेरी पत्नी, मेरे साथ काम कर रही रोजी होगी, परंतु उस से शादी का मेरा मकसद बस औलाद प्राप्ति होगा. तुम्हें बिना तलाक दिए भी मैं उस से शादी कर सकता हूं, पर तुम तो जानती हो कि हम दोनों की सरकारी नौकरी है और बिना तलाक शादी करना मुझे परेशानी में डाल कर मेरी नौकरी को खतरे में डाल सकता है.
‘‘तुम अपना चेकअप क्यों नहीं करवाते हो, नमित.. मुझे लगता है कि कमी तुम में ही है.
‘‘एक बात कहूं, तुम निहायत ही दोगले इनसान हो, शरीफ बने इस चेहरे के पीछे एक बेहद घटिया और कायर इनसान छिपा है.
‘‘कान खोल कर सुन लो, मैं तुम्हें किसी शर्त पर तलाक नहीं दूंगी. तुम्हें जो करना हो कर लो. सारी परेशानियों को सहते हुए, मैं इसी परिवार में रह कर तुम सब के दिए कष्टों को सह कर तुम्हारे ही साथ अपने बैडरूम में रहूंगी.‘‘
‘‘नहीं, मुझ में कोई कमी नहीं हो सकती, और तलाक तो तुम्हें देना ही होगा. मुझे इस खानदान के लिए वारिस चाहिए, चाहे वह तुम से मिले या किसी और से.
“अगर तुम सीधेसीधे तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर नहीं करती हो, तो मैं तुम पर मेरे परिवार वालों को परेशान करने और बदचलनी का आरोप लगाऊंगा,’’ नमित के शब्दों का अंदाज बदल चुका था.
कुछ दिन बाद नमित ने कोर्ट में रोहिणी पर इलजाम लगाते हुए तलाक की अर्जी दाखिल कर दी.
अब रोहिणी बिलकुल चुप सी रहने लगी थी, लेकिन तलाक मिलने तक अपने बैडरूम पर कब्जा नहीं छोड़ने के लिए अपने फैसले पर अडिग थी.
प्रकृति की लीला तो देखिए, 2 महीने बाद ही उसे पता चला कि कुदरत ने उस की गोद भरने की तैयारी कर ली है, यह खबर मिलते ही नमित ने तलाक की दी हुई अर्जी वापस ले ली.
उस के अगले ही दिन रोहिणी अपना बैग पैक कर के मायके चली गई. सारी बातें सुन कर मातापिता ने समझाने की कोशिश की कि जब सबकुछ ठीक हो रहा है, तो इस तरह की जिद सही नहीं है.
‘‘अगर आप लोगों को मेरा आप के साथ रहना पसंद नहीं है, तो मैं जल्दी ही कहीं और रूम ले कर रहने चली जाऊंगी. आप लोगों पर ज्यादा दिन बोझ बन कर नहीं रहूंगी.‘‘
बेटी से इस तरह की बातें सुन कर दोनों चुप हो गए.अगले दिन शाम को बेल बजने पर रोहिणी ने दरवाजा खोला, सामने नमित था. बिना जवाब की प्रतीक्षा किए वह अंदर आ कर सोफे पर बैठ गया, तब तक रोहिणी के मातापिता भी आ चुके थे.
बात की शुरुआत नमित ने की, ‘‘रोहिणी भगवान ने हमारी सुन ली और हमारी गोद में जल्दी ही एक खूबसूरत उपहार देने वाले हैं, तो तुम अब यह सब क्यों कर रही हो.
‘‘जब मैं ने तुम्हें तलाक देना चाहा था, तब तो तुम किसी भी शर्त पर तलाक देने को तैयार नहीं थी, फिर अब क्या हुआ.. अब जब सबकुछ सही हो रहा है, सब ठीक होने जा रहा है, तो इस तरह की जिद का क्या औचित्य…‘‘
‘‘नमित, तुम्हें क्या लगता है… यह बच्चा तुम्हारा है? तो मैं तुम्हें यह साफसाफ बता दूं कि यह बच्चा तुम्हारा नहीं… मेरे कलीग सुभाष का है, जो इस तलाक के बाद जल्दी ही मुझ से शादी करने वाला है.
‘‘तुम ने मुझ पर चरित्रहीनता के झूठे आरोप लगाए थे न, मैं ने तुम्हारे लगाए हर उन आरोपों को सच कर के दिखा दिया. और साथ ही, यह भी दिखा दिया कि मुझ में कोई कमी नहीं, कमी तुम में है… तुम एक अधूरे मर्द हो. जो अपनी कमी से पनपी कुंठा, अब तक अपनी पत्नी पर उड़ेलते रहे. विश्वास न हो तो जा कर अपना चेकअप करवाओ और फिर जितनी चाहे, उतनी शादी करो.
‘‘तुम्हारे घर में तुम्हारी मां और बहन द्वारा दिए गए उन सारे जख्मों को मैं भुला देती, अगर बस तुम ने मेरा साथ दिया होता. औरत को बच्चे पैदा करने की मशीन मानने वाले तुम जैसे मर्द, मेरे तलाक नहीं देने के उस फैसले को मेरी एक अदद छत पाने की लालसा समझते रहे और मैं उसी छत के नीचे रह कर अपने ऊपर होते अत्याचारों की आंच पर तपती चली गई… अंदर से मजबूत होती चली गई. ऐसे में मुझे सहारा मिला सुभाष के कंधों का और उस ने एक सच्चा मर्द बन कर, सही मायने में मुझे औरत बनने का सौभाग्य दिया.
अब तुम्हारे द्वारा लगाए गए उन झूठे आरोपों को मैं सच्चा साबित कर के तुम से तलाक लूंगी और तुम्हें मुक्त करूंगी इस अनचाहे रिश्ते से, तुम्हें अपनी मरजी से शादी करने के लिए… जो तुम्हारे खानदान को तुम से वारिस दे सके, जो मैं तुम्हें नहीं दे पाई.
‘‘अब तुम जा सकते हो. कोर्ट में मिलेंगे,” बिना नमित के उत्तर की प्रतीक्षा किए रोहिणी उठ कर कमरे में चली गई.