झील सी आँखें शायरी
कोहरा ओढ़े टहल रही थी झील पे गहरी ख़ामोशी
फिर सूरज ने धूप बिछाई तब कुछ ठहरी ख़ामोशी
- ख़्वाजा तारिक़ उस्मानी
उस ने हम को झील तराई और पहाड़ दिए
हम ने इन सब की गर्दन में पंजे गाड़ दिए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
यही चिनार यही झील का किनारा था
यहीं किसी ने मिरे साथ दिन गुज़ारा था
- मक़बूल आमिर
फिर सूरज ने धूप बिछाई तब कुछ ठहरी ख़ामोशी
- ख़्वाजा तारिक़ उस्मानी
उस ने हम को झील तराई और पहाड़ दिए
हम ने इन सब की गर्दन में पंजे गाड़ दिए
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
यही चिनार यही झील का किनारा था
यहीं किसी ने मिरे साथ दिन गुज़ारा था
- मक़बूल आमिर
jheel kinare shayari
झील के पार धनक-रंग समाँ है कैसा
झिलमिलाता हुआ वो अक्स वहाँ है कैसा
- नुसरत ग्वालियारी
मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख
सूरज हूँ मेरा रंग मगर दिन-ढले भी देख
- शकेब जलाली
जिस तरह झील के पानी में सुकूँ तैरता है
मेरी आँखों में तिरा अक्स भी यूँ तैरता है
- ख़्वाजा तारिक़ उस्मानी
मैं ने झील किनारे उस का नाम लिया
झील ने हँस के नीले मोती उगल दिए
- निगहत नसीम
झील के पार धनक-रंग समाँ है कैसा
झिलमिलाता हुआ वो अक्स वहाँ है कैसा
- नुसरत ग्वालियारी
मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख
सूरज हूँ मेरा रंग मगर दिन-ढले भी देख
- शकेब जलाली
जिस तरह झील के पानी में सुकूँ तैरता है
मेरी आँखों में तिरा अक्स भी यूँ तैरता है
- ख़्वाजा तारिक़ उस्मानी
मैं ने झील किनारे उस का नाम लिया
झील ने हँस के नीले मोती उगल दिए
- निगहत नसीम
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झील में चाँद गिरा था और मैं
झील के पार दिखाई दिया हूँ
- अहमद कामरान
मिरी ख़ामोशियों की झील में फिर
किसी आवाज़ का पत्थर गिरा है
- आदिल रज़ा मंसूरी
गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़
छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे
- मोहसिन नक़वी