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lahar par sher |
लहर पर शायरी इन हिंदी
तेज़ धूप में आई ऐसी लहर सर्दी की
मोम का हर इक पुतला बच गया पिघलने से
- क़तील शिफ़ाई
दर्द की लहर में ज़िंदगी बह गई
उम्र यूँ कट गई हिज्र की शाम में
- नजमा शाहीन खोसा
इक लहर है कि मुझ में उछलने को है 'ज़फ़र'
इक लफ़्ज़ है कि मुझ से अदा होने वाला है
- ज़फ़र इक़बाल
लहर ख़ुद पर है पशेमान कि उस की ज़द में
नन्हे हाथों से बना रेत का घर आ गया है
- ज़िया ज़मीर
लहर पर शायरी
आप कहें तो तीन ज़माने एक ही लहर में बह निकलें
आप कहें तो सारी बातों में ऐसी आसानी है
- अम्बरीन सलाहुद्दीन
अब जो लहर है पल भर बाद नहीं होगी यानी
इक दरिया में दूसरी बार उतरा नहीं जा सकता
- सलीम कौसर
आँखों तक आ सकी न कभी आँसुओं की लहर
ये क़ाफ़िला भी नक़्ल-ए-मकानी में खो गया
- अब्बास ताबिश
lahar par shayari
उन झील सी गहरी आँखों में
इक लहर सी हर दम रहती है
- रसा चुग़ताई
ख़ुदा के वास्ते उस से न बोलो
नशे की लहर में कुछ बक रहा है
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
आख़िरी लहर किनारे पे उछाल आया है
मेरे दरिया को सख़ावत में कमाल आया है
- जुनेद आज़र