'क़लम' पर शायरों के सब्द Qalam Shayari in hindi
Qalam par shayari |
बरसों से कान पर है क़लम इस उमीद पर
लिखवाए मुझ से ख़त मिरे ख़त के जवाब में
- अज्ञात
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क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
मिलन के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं
- शुजा ख़ावर
क़लम भी रौशनाई दे रहा है
मुझे अपनी कमाई दे रहा है
- मुस्तफ़ा शहाब
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अश्कों में क़लम डुबो रहा है
फ़नकार जवान हो रहा है
- सैफ़ ज़ुल्फ़ी
यही काग़ज़ यही क़लम होगा
रोज़ इक वाक़िआ' रक़म होगा
- सबिहा ख़ान
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क़लम को इस लिए तलवार करना
कि बढ़ के ज़ुल्म पर है वार करना
- सबीहा सबा
तेज़ है मेरा क़लम तलवार से
दोस्त ख़ाइफ़ हैं मिरी रफ़्तार से
- एज़ाज़ काज़मी
तख़्ती क़लम दवात से पहले की बात है
ये इश्क़ काएनात से पहले की बात है
- काज़िम हुसैन काज़िम
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