क़मर जलालाबादी पोएट् kuchh to hai baat
चाहा तुझे तो ख़ुद से मोहब्बत सी हो गई
खोने के बाद मिल गई अपनी ख़बर मुझे
तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूंगा
जब कोई और न होगा तो दिखाई दूंगा
दुनिया को भूलकर तेरी दुनिया में आ गया
ले जा रहा है कौन इधर से उधर मुझे
खोने के बाद मिल गई अपनी ख़बर मुझे
तेरे ख़्वाबों में मोहब्बत की दुहाई दूंगा
जब कोई और न होगा तो दिखाई दूंगा
दुनिया को भूलकर तेरी दुनिया में आ गया
ले जा रहा है कौन इधर से उधर मुझे
qamar jalalabadi poetry in hindi
गोरा मुखड़ा ये सुर्ख़ गाल तेरे, चांदनी में गुलाब देखा है
नर्गिसी आंख ज़ुल्फ़ शबरंगी, बादलों का जवाब देखा है
दुनिया का हर नज़ारा निगाहों से छीन ले
कुछ देखना नहीं है तुझे देखकर मुझे
इश्क़ में उसने जलाना ही नहीं सीखा कभी
आग दे जाएगा मुझ को ख़ुद धुआं ले जाएगा
कुछ तो है बात जो आती है क़ज़ा रुक रुक के
ज़िंदगी कर्ज़ है क़िस्तों में अदा होती है
क़मर जलालाबादी की शायरी
तेरी ही रूह का नग़्मा हूं अगर मिट भी गया
मैं तुझे दूसरी दुनिया से सुनाई दूंगा
कोई इंसां नज़र आए तो बुलाओ उसको
उसे इस दौर में जीने पे बधाई दूंगा
तुझ को बिठा के दूर से देखा करेंगे हम
यूं भी तेरे ग़ुरूर से खेला करेंगे हम
qamar jalalabadi shayari