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आहट सी कोई आए तो लगता है जां निसार अख़्तर शेर Jan Nisar Akhtar Best Selected Shayari

आहट सी कोई आए तो लगता है जां निसार अख़्तर शेर Jan Nisar Akhtar Best Selected Shayari
जां निसार अख़्तर शायरी



आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो


अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं

हाए उस वक़्त को कोसूँ कि दुआ दूँ यारो
जिस ने हर दर्द मिरा छीन लिया है मुझ से


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पहले हक़ीक़तों ही से मतलब था और अब
एक आध बात फ़र्ज़ भी करने लगा हूँ मैं

वो भी क्या दिन थे कि दीवाना बने फिरते थे
सुन लिया था तिरे बारे में कहीं से हम ने


मैं तुम से दूर रहता हूँ तो मेरे साथ रहती हो
तुम्हारे पास आता हूँ तो तन्हा हो सा जाता हूँ

माना कि रंग रंग तिरा पैरहन भी है
पर इस में कुछ करिश्मा-ए-अक्स-ए-बदन भी है


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आँखें चुरा के हम से बहार आए ये नहीं
हिस्से में अपने सिर्फ़ ग़ुबार आए ये नहीं

हर एक रूह में इक ग़म छुपा लगे है मुझे
ये ज़िंदगी तो कोई बद-दुआ' लगे है मुझे


सुब्ह के दर्द को रातों की जलन को भूलें
किस के घर जाएँ कि इस वादा-शिकन को भूलें
 
 
 
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