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60+ Rahat Indori Romantic Shayari in Hindi Best sher o shayari in hindi Collection 'राहत-इंदौरी' रोमांटिक शायरी हिंदी बेहतरीन शायरी

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...फकीरी पे तरस आता है
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे


जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो


rahat indori shayari in hindi font



 तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे





बहुत हसीन है दुनिया
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं



मैं बच भी जाता तो... rahat indori love shayari    


किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है
आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था

मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था



अंदर का ज़हर चूम लिया
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है

कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे


मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं



एक चिंगारी नज़र आई थी
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के

इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं


shayari by famous poets in hindi


ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे

 

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए

फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए

 

जागने की भी,
जगाने की भी,
आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए

 famous shayari hindi



दूर हम कितने दिन से हैं,
ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए

 

जुबा तो खोल,
नज़र तो मिला,
जवाब तो दे
में कितनी बार लुटा हु,
मुझे हिसाब तो दे

तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव
में तुझको कैसे पढूंगा,
मुझे किताब तो दे

 
उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू वाक़ू,
छुरियां वुरियां,
ख़ंजर वंजर सब



shayari collection in hindi



जिस दिन से तुम रूठीं,
मुझ से,
रूठे रूठे हैं
चादर वादर,
तकिया वकिया,
बिस्तर विस्तर सब

मुझसे बिछड़ कर,
वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े,
ज़ेवर वेवर सब

 

अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है

एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है

 
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना

 
जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे

भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे



motivational sher in hindi | मशहूर शायरों के शेर



तूफ़ानों से आँख मिलाओ,
सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो,
तैर के दरिया पार करो

 

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के

 

कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है

 
फूलों की दुकानें खोलो,
खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो,
ये खता एक बार नहीं,
सौ बार करो

 

जुबां तो खोल,
नजर तो मिला,
जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ,
हिसाब तो दे

 

नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं

 

किसने दस्तक दी,
दिल पे,
ये कौन है
आप तो अन्दर हैं,
बाहर कौन है

 

इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं

 

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे

 

अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए






ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे

 

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए

फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए

 

जागने की भी,
जगाने की भी,
आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए

दूर हम कितने दिन से हैं,
ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए

 

जुबा तो खोल,
नज़र तो मिला,
जवाब तो दे
में कितनी बार लुटा हु,
मुझे हिसाब तो दे



तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव
में तुझको कैसे पढूंगा,
मुझे किताब तो दे

 
उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू वाक़ू,
छुरियां वुरियां,
ख़ंजर वंजर सब

जिस दिन से तुम रूठीं,
मुझ से,
रूठे रूठे हैं
चादर वादर,
तकिया वकिया,
बिस्तर विस्तर सब

मुझसे बिछड़ कर,
वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े,
ज़ेवर वेवर सब

 
अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है

एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है

 
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना

 

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे

भुलादे मुझको मगर,
मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे






जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते,
भूल करते हैं

अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं

 


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वो बुलाती है मगर जाने का नहीं

 

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।



 | राहत इंदौरी की रोमांटिक शायरी - Rahat Indori Shayari Collection 


फूलो की दुकाने खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क खता हैं, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो।
 

फैसला जो कुछ भी हो,
हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो,
भरपूर होना चाहिए

भूलना भी हैं,
जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है,
तो थोडा दूर होना चाहिए

 

सूरज,
सितारे,
चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें

 

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं

दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं

 

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं

उसकी याद आई हैं सांसों,
जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं




 

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