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Sawan Ke Mausam shayari in hindi 'सावन' का मौसम और ये 20 बड़े शेर - हिंदी शायरी एच

Sawan Ka Mausam shayari in hindi 'सावन' का मौसम और ये 10 बड़े शेर
बरसात शेर - हिंदी शायरी एच 
 


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 बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
- हसरत मोहानी 




रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन
ये और बात कि मौसम यही नुमू का है
- जुनैद हज़ीं लारी 




बरसात का मज़ा तिरे गेसू दिखा गए
अक्स आसमान पर जो पड़ा अब्र छा गए
- लाला माधव राम जौहर 




हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
- सुदर्शन फ़ाकिर 



sawan ke suhane mausam mein ahmed hussain 


तालाब तो बरसात में हो जाते हैं कम-ज़र्फ़
बाहर कभी आपे से समुंदर नहीं होता
- एजाज़ रहमानी 




एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों
अब जो बरसात में भीगोगे तो याद आऊंगा
- राजेन्द्र नाथ रहबर 




फिर लाई है बरसात तिरी याद का मौसम
गुलशन में नया फूल खिला देख रहा हूं
- साबिर दत्त 



बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
- निदा फ़ाज़ली 




अब तक जिस्म सुलगता है
कैसी थी बरसात न पूछ
- मनीश शुक्ला 



क्या बिछड़ कर रह गया जाने भरी बरसात में
एक कोयल कूकती है आम के बाग़ात में
- बशीर मुंज़िर 



sawan ke suhane mausam mein  lyrics



रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन
ये और बात कि मौसम यही नुमू का है
- जुनैद हज़ीं लारी




सावन एक महीने 'क़ैसर' आँसू जीवन भर
इन आँखों के आगे बादल बे-औक़ात लगे
- क़ैसर-उल जाफ़री





अब के सावन में...
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
- गोपालदास नीरज





कल तिरे एहसास की बारिश तले
मेरा सूना-पन नहाया देर तक
- नीना सहर



बरस रही थी बारिश...
बरस रही थी बारिश बाहर
और वो भीग रहा था मुझ में
- नज़ीर क़ैसर



तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
- जमाल एहसानी





जो गुजरे इश्क में...
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं
- अज्ञात




क़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहें;
खिजाँ की बात न पूछो सावन ने भी तड़पाया मुझे
- अज्ञात



पतझड़ दिया था...
पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे
मैने वक़्त की जेब से ‘सावन’ चुरा लिया
- अज्ञात




जितना हँसा था उससे ज़्यादा उदास हूँ
आँखों को इन्तज़ार ने सावन बना दिया
- अज्ञात



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