chitthi shayari |
आने वाले द्वार पे पहरों दस्तक दे कर लौट गए
हाथ में ले कर पढ़ने बैठी जब प्रीतम की चिट्ठी मैं
- नसरीन नक़्क़ाश
गीली लकड़ी को सुलगा कर अश्कों से अर्ज़ी लिखूँगा
आज धुएँ के बादल पर मैं बारिश को चिट्ठी लिखूँगा
- शाहनवाज़ अंसारी
फूल सा इक लिफ़ाफ़ा मेरे नाम का
एक चिट्ठी थी उस में महकती हुई
- संदीप ठाकुर
मेरी ख़ातिर कोश भाग्य का घट जाता है
दिल की हर चिट्ठी का कोना फट जाता है
- मधूरिमा सिंह
भेजिए कोई बुलावा कोई चिट्ठी भेजिए
अपने उन परदेसियों से शहर-दारी कीजिए
- नबील अहमद नबील
लापता हूँ मैं घर नहीं कोई
चिट्ठी झूटी है तार झूटा है
- चाँद अकबराबादी
क्यूँ न आ जाए महकने का हुनर लफ़्ज़ों को
तेरी चिट्ठी जो किताबों में छुपा रक्खी है
- इक़बाल अशहर
जब तू शाम को घर जाए तो पढ़ लेना
तेरे बिस्तर पर इक चिट्ठी छोड़ी है
- ज़िया मज़कूर
मैं वो चिट्ठी हूँ मिटा जाता है जिस का हर हर्फ़
पढ़ के इक बार मुझे भूल गया है कोई
- आबिद आलमी
अभी दो-चार जुमलों से भरा काग़ज़ का टुकड़ा है
ख़िज़ाँ आने दो फिर ख़ुशबू मिरी चिट्ठी से निकलेगी
- ताैफ़ीक़ साग़र