अधूरी तस्वीर हिन्दी कविता
कल्पना
यादों के
कैनवास पर
उतारी थी
एक तस्वीर
दो जोड़ी आंखें
टकटकी लगाए
जो बस मुझे देख रही थीं
होंठों पर गुलाबी रंग रह गया था
भरना चाहा था अपने होंठ रख दूं .
होंठों पर तभी बंद
पड़े उस पुराने रेडियो
पर बजने लगा
पुराना गीत और मैं निकल
आई यादों से बाहर
और वो तस्वीर अधूरी रह गई ।