सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Hasi Majak : Maitrimoniyal Saits Par Vivahik Risto ka Sach मजाक: मैट्रिमोनियल साइट्स पर वैवाहिक

 मजाक: मैट्रिमोनियल साइट्स पर वैवाहिक रिश्तों का सच


मजाक: मैट्रिमोनियल साइट्स पर वैवाहिक रिश्तों का सच
भई वाह, शादी न हो, कहीं का जंजाल हो गया हो. आजकल शादी करने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं. ठग पे ठग हर पग बैठे हैं. रिश्ता ढूंढ़ने से ले कर सहीगलत के प्रमाण ढूंढ़ने तक लोचे ही लोचे हैं. अब इन लोचों से कैसे निबटा जाए...









लेखक- विनोद खंडालकर

मैट्रिमोनियल साइट्स से बेटे के लिए एक अच्छा रिश्ता समझ में आया. रांची निवासी चौबेजी की बेटी का बायोडाटा पढ़ कर उन से बात करने का मन किया तो मैं ने उन्हें फोन लगा दिया.

फोन पर मैं ने पूछा, ‘‘आप रांची से चौबेजी बोल रहे हैं न? मैं मुंबई से रामनाथ पांडे बोल रहा हूं. चौबेजी नमस्ते, मैं ने आप की बेटी का बायोडाटा पढ़ लिया. पसंद भी आया.’’ चौबेजी बोले, ‘‘पसंद क्यों नहीं आएगा बेटी का बायोडाटा. आईआईटी मुंबई में पढ़ रहे मेरे बेटे ने बनाया है.’’ ‘‘वह सब छोडि़ए, यह बताइए कि मैं अपने बेटे का बायोडाटा आप को भेज रहा हूं. अगर पसंद आए तो आगे की बात कर सकते हैं.’’

चौबेजी बोले, ‘‘हां, भेज दीजिए.’’‘‘बेटे के बारे में कुछ बताना चाहता हूं. बेटे ने बीटैक किया है और एक बड़ी कंपनी में प्रोजैक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत है. मैट्रिमोनियल साइट्स के अनुसार आप की बेटी बीई करने के बाद बैंक में असिस्टैंट मैनेजर के पद पर काम कर रही है.’’



चौबेजी बोले, ‘‘बात करूंगा.’’‘‘कोई बात नहीं, आप कुंडली मिला कर देख सकते हैं, कृपया जल्दी सूचित करें कि कुंडली मिल रही है या नहीं, ताकि आगे की बात हो सके.’’

2 दिनों बाद चौबेजी का फोन आया, कहने लगे, ‘‘कुंडली तो एकदम नहीं मिल रही है पर पंडितजी ने कहा है कि कुछ दानपुण्य करने के बाद यह विवाह सफल हो सकता है.’’ ‘‘अभी तो विवाह तय ही नहीं हुआ. विवाह के सफलअसफल होने की बात करने लगे. ‘‘हां, तो चौबेजी आगे की बात करने के लिए आप बेटी को मुंबई ले कर आ जाएं तो अच्छा होगा. दोनों लड़कालड़की एकदूसरे को देख भी लेंगे, क्योंकि विवाह के लिए इन दोनों की सहमति 90 प्रतिशत    होती है, मातापिता की सहमति मात्र 10 प्रतिशत ही होती है.’’

चौबेजी ने कहा, ‘‘हां, सही कहा आप ने, पर एक रिश्ते के लिए इतनी दूर मुंबई आना हम लोगों के लिए महंगा पड़ेगा. मुंबई में ही और कोई योग्य लड़के हों तो उन के विषय में जानकारी ले लेना, उन को भी देख लेंगे.’’चौबेजी की बात सुन कर मुझे हंसी आ गई. ऐसा कहते हुए उन्हें कोई संकोच भी न हुआ. इन की बेटी के लिए मुझे योग्य लड़के ढूंढ़ने को कहा गया. क्या मेरा बेटा योग्य नहीं है?

मैं ने चौबेजी से कहा, ‘‘तीनचार लड़कों की जानकारी लेने के चक्कर में हम अपने बेटे के विवाह के लिए रुक नहीं सकते. आप कोई गलतफहमी मत रखिए,’’  यह कह कर मैं ने फोन बंद कर दिया.

ये भी पढ़ें- खुशी की दीवाली



करीब एक सप्ताह के बाद फिर चौबेजी का फोन आया और कहने लगे, ‘‘माफ कीजिएगा, मैं ने आप के बेटे का बायोडाटा अच्छे से नहीं देखा था. आप के बेटे की हाइट 5 फुट 5 इंच है, मेरी बेटी की हाइट 5 फुट 6 इंच है. इन की जोड़ी अच्छी नहीं दिखाई देगी. कुंडली भी अच्छे से मैच नहीं कर रही है. लेकिन मेरी दूसरी बेटी जिस की हाइट 5 फुट 3 इंच है, उस ने बीटैक और एमबीए किया है और हैदराबाद में एक बड़ी विदेशी कंपनी में ऊंचे पद पर काम कर रही है. इस दूसरी बेटी के बारे में आप विचार कर सकते हैं. मेरा पूरा परिवार बहुत पढ़ालिखा है. मेरी तीसरी बेटी एमबीबीएस कर रही है और चौथे नंबर का बेटा आईआईटी मुंबई से बीटैक कर रहा है.’’

चौबेजी की बातें सुन कर मैं ने उन्हें उन की बेटियों के लिए और कहीं योग्य वर तलाशने की बात कह कर फोन बंद कर दिया. चौबेजी ने लड़के के चक्कर में 3 लड़कियां पैदा कर लीं. अब उन्हें बेटियों की शादी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. शुक्र है कि वे किसी फर्जी मैट्रिमोनियल साइट के झांसे में नहीं आए.

मुझे मैट्रिमोनियल साइट्स पर इसी एक रिश्ते ने इतना परेशान कर दिया और मेरा बहुत समय भी बरबाद हो गया. वहां मैट्रिमोनियल साइट्स से फोन आता है, ‘‘आप को और अच्छे रिश्तों की तलाश है तो 3 हजार रुपए जमा करवा दीजिए.’’

मैं ने कहा, ‘‘अभी तो 2 माह पूर्व आप की साइट जौइन की, तब 2 हजार रुपए में रजिस्ट्रेशन कराया था. मुझे लड़कियों के प्रोफाइल ढूंढ़ने में बहुत माथापच्ची करनी पड़ी क्योंकि आप ने मेरे बेटे की प्रोफाइल के अनुसार रिश्ते नहीं भेजे. एक रिश्ता समझ में आया तो उन के साथ बातचीत में एक माह लग गया. मुझे मेरे बेटे के लिए और अच्छे रिश्ते  भेजिए. अभी तक आप ने जो रिश्ते भेजे, कुछ काम के ही नहीं हैं. इस का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि फोन रख दिया. अच्छीखासी रजिस्ट्रेशन फीस ले कर इस तरह की लापरवाही की जाती है. चूंकि आप उन की साइट्स से रिश्ते ढूंढ़ रहे हैं, इसलिए बारबार पैसा मांग कर अच्छे रिश्ते भेजने की बात करते हैं. लगता है पहली बार में एकआध रिश्ता ही सही भेजते हैं और बाद में पैसे की मांग कर अच्छे रिश्ते भेजने की बात करते हैं.

ऐसे पांडेजी जैसे कई लोग हैं जो इन मैट्रिमोनियल साइट्स से परेशान हैं. कुछ साइट्स वाले नकली प्रोफाइल बना कर व्हाट्सऐप और फेसबुक के माध्यम से धोखाधड़ी कर रहे हैं. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लोग व्यक्तिगत तौर पर मिल कर रिश्ते बनाने में डर रहे हैं, इसलिए इन साइट्स के माध्यम से लोग रिश्ते ढूंढ़ रहे हैं. लेकिन लोगों को नहीं मालूम कि इन साइट्स पर कितना फर्जीवाड़ा हो रहा है.

लड़की वाले वैसे ही अच्छा लड़का ढूंढ़ने के चक्कर में रहते हैं और इन साइट्स का सहारा लेते हैं. इन साइट्स पर लड़कों की प्रोफाइल और फोटो इतनी अच्छी होती हैं कि लड़की वाले इन के झांसे में आ जाते हैं.

कुछ लड़के तो लड़कियों के मोबाइल नंबर ले लेते हैं और लड़कियों को इतने सब्जबाग दिखाते हैं कि लड़कियां अपने मातापिता से यही रिश्ता करने के लिए दबाव डालती हैं. जब लड़कों को इस बात की भनक लग जाती है तो वे शादी की तैयारी के नाम पर 51 हजार से एक लाख रुपए तक एडवांस की डिमांड करते हैं और यह राशि उन के बैंक खाते में डालने के लिए कहते हैं. जब तक इन्हें यह पैसा नहीं मिल जाता, लड़की से और उन के परिवार से खूब अच्छी बातें करते हैं. जिस दिन इन को पैसा मिल जाता है उस के बाद लड़की वाले बेटी को देखने और आगे की बात करने के लिए उन्हें बुलाते हैं तो इन के मोबाइल ही बंद हो जाते हैं.

फेसबुक पर भी कई साइट्स हैं, जिन में एक सुदंर सी लड़की का फोटो डाल कर आप से कहा जाता है कि ‘क्या आप इस समय अकेले हैं? आप इस सुंदर लड़की से रिश्ते की बात कर सकते हैं.’

आप यदि उन के कहे अनुसार आगे बढ़ते गए तो फिर आप को कई लड़कियों के फर्जी फोटो, प्रोफाइल और मोबाइल नंबर दे दिए जाते हैं. इन में से एक भी रिश्ते की पड़ताल कर अपनी सहमति देते हैं तो फिर इन का खेल शुरू हो जाता है. आप संभल गए तो ठीक है, वरना आप फंसते जाएंगे और ये लड़कियां आप को ऐसे चंगुल में फंसा लेंगी कि आप लाखदोलाख रुपयों से उतर जाएंगे. उतर जाएंगे से तात्पर्य है कि आप के लाखदोलाख डूब जाएंगे.

फर्जी मैट्रिमोनियल साइट्स के मालिक महानगरों में एक औफिस खोल कर रखते हैं और यहां  अधिकतर महिलाएं ही काम करती हैं. यदि आप इन की साइट्स पर जा कर रिश्ते तलाशते हैं तो ये महिलाएं अच्छे रिश्तों का प्रलोभन दे कर आप को जाल में फंसा लेंगी और साइट्स पर रजिस्ट्रेशन करने हेतु मजबूर कर देंगी और रजिस्ट्रेशन के नाम पर अच्छीखासी राशि आप से प्राप्त कर लेंगी. ये महिलाएं अकसर व्हाट्सऐप का उपयोग ज्यादा करती हैं क्योंकि यहां आप के व्यक्तिगत नंबर पर सारी जानकारी आसानी से डाली जा सकती है.

रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद इन के द्वारा व्हाट्सऐप पर अच्छेअच्छे मौडल्स और दूसरे लड़केलड़कियों की फोटो, बायोडाटा और उन के मोबाइल नंबर भेजे जाते हैं. इन्हें जब फोन किया जाता है तो इन के मोबाइल बंद मिलते हैं या शादी के संबंध में बात की जाती है तो ये अनभिज्ञता दिखाते और रौंग नंबर होने की जानकारी देते हैं.

कुछ फर्जी मैट्रिमोनियल साइट्स वाले तो लड़केलड़कियों की पत्रिका,  कुंडलियां भी मिला कर देते हैं. इस का अलग से चार्ज करते हैं. इन के द्वारा मिलाई गई कुंडलियों में लड़केलड़कियों के 36 में से 36 गुण मिलते हैं. तब तो मातापिता को ये शादियां सफल होने के पूरे चांस दिखाई देते हैं.

ये लोग फटाफट रिश्ता तय करने में लग जाते हैं. ये महिलाएं फर्जी लड़के से आप की बात करवाते वीडियोकौल भी करवा देती हैं. जिस ढंग से आप संतुष्ट होना चाहते हैं वैसा पूरा प्रयास करती हैं. जब आप संतुष्ट हो कर आगे की बात करना चाहेंगे तो ये लड़के दहेज की मांग भी कर देते हैं और अपने बैंक खाते में शगुन के नाम पर कुछ धनराशि डालने को  कहते हैं.

इस शगुन की राशि हजारोंलाखों में होती है. कोरोना का हवाला दे कर ये आप से व्यक्तिगत रूप से मिलना नहीं चाहते. पूरी बातें मोबाइल पर ही होती हैं. पेमैंट भी औनलाइन करना होता है. फिर आप कहेंगे ‘यह है डिजिटल इंडिया’. ये लोग अलगअलग नामों से मैरिज ब्यूरो खोल कर लोगों को खूब ठगते हैं और भाग जाते हैं.

मैंट्रिमोनियल साइट्स के वैवाहिक  रिश्तों  का  सच  जानने  के  बाद  यदि  हम  इन  साइट्स के माध्यम से विवाह तय करते हैं तो हमें ही इस रिश्ते की पूरी जांचपड़ताल करनी होगी. किसी के बहकावे में आ कर लुटने से हमें ही बचना है. हमें अपने बेटेबेटियों को विवाह के इस बंधन में बांधने से पहले खूब सोचविचार कर लेना चाहिए,  हमें उन की जिंदगी दांव पर नहीं लगानी है.

इन सब परिस्थितियों को देखते हुए पुराने जमाने में जो रिश्ते तय होते थे वही अच्छे होते थे. हमारे रिश्तेदार ही हमारे बेटेबेटियों के लिए रिश्ते ले कर आते थे और यही रिश्तेदार दोनों पक्षों में मध्यस्थता कर विवाह संपन्न कराते थे. ये विवाह सौ प्रतिशत सफल भी होते थे. भईया, हम तो सलाह देंगे, जरा बच कर रहना इन मैट्रिमोनियल साइट्स से.







aids kaise hota hai

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे