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Sathi Shayri Collection - Sathi Shayri: ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना Hindishayarih

ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना 


Dosto aap sabhi ke liye sabse achhi chun chun ke sathi shayari collection shayari jise padh ke aap ka mann harsh ho jayega.



 

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पीछे छूटे साथी मुझ को याद आ जाते हैं
वर्ना दौड़ में सब से आगे हो सकता हूँ मैं
- आलम ख़ुर्शीद




उस से पूछो अज़ाब रस्तों का
जिस का साथी सफ़र में बिछड़ा है
- अब्बास दाना

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Sathi Shayri Collection - Sathi Shayri: ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
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ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तो
जिस को साथी मिल गया वो और तन्हा हो गया
- अफ़ज़ल मिनहास




सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ
सब चाक दिलों के सिल जाएँ कोई ऐसा काम करो 'वाली'
- वाली आसी



ऐ बुतो रंज के साथी हो न आराम के तुम
काम ही जब नहीं आते हो तो किस काम के तुम
- मुज़्तर ख़ैराबादी


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मैं उस से झूट भी बोलूँ तो मुझ से सच बोले
मिरे मिज़ाज के सब मौसमों का साथी हो
- इफ़्तिख़ार आरिफ़



दिल की तमन्ना थी मस्ती में मंज़िल से भी दूर निकलते
अपना भी कोई साथी होता हम भी बहकते चलते चलते
- मजरूह सुल्तानपुरी



ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
- ज़ेब ग़ौरी

साथी शायरी हिंदी

दश्त की ना-तमाम राहों पर
कोई साथी है तो शजर तन्हा
- विजय शर्मा

साथी मिरे कहाँ से कहाँ तक पहुँच गए
मैं ज़िंदगी के नाज़ उठाने में रह गया
- उमैर मंज़र




 उससे पूछो अजाब रस्तों का



main asha karta hu ki aap ko yeh chuninda sathi sher pasand aya hoga मैं आशा करता हूं की आप को ये चुनिंदा साथी शेर पसंद आया होगा

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