सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Awaz Shayari 2 Liner | Teri Awaz Shayari ( हिंदी शायरी आवाज पर मीठी है ! Teri Awaz बिकुल कोयल की जैसी हिंदी शायरी ) - HindiShayarih

 आप की आवाज बहुत प्यारी और मीठी है बिकुल कोयल की जैसी हिंदी शायरी आवाज पर Awaz shayari, awaz shayari hindi, shayari awaz ki, teri awaz shayari, आवाज़ शायरी, आवाज़ शायरी हिंदी, शायरी आवाज़ की, तेरी आवाज़ शायरी shayari on zindagi in hindi



आप की आवाज बहुत प्यारी और मीठी है बिकुल कोयल की जैसी हिंदी शायरी आवाज पर Awaz shayari, awaz shayari hindi, shayari awaz ki, teri awaz shayari, आवाज़ शायरी, आवाज़ शायरी हिंदी, शायरी आवाज़ की, तेरी आवाज़ शायरी shayari on zindagi in hindi
आवाज़ शायरी



आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए 
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है 
- मुनीर नियाज़ी



लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे 
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ 
- बशीर बद्र



बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी बातों से 
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है 
- अज्ञात



ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है 
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है 
- बशीर बद्र



गुम रहा हूँ तिरे ख़यालों में 
तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है 
- अहमद मुश्ताक़




धीमे सुरों में कोई मधुर गीत छेड़िए 
ठहरी हुई हवाओं में जादू बिखेरिए 
- परवीन शाकिर

कोई आया तिरी झलक देखी 
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़ 
- जोश मलीहाबादी



तिरी आवाज़ को इस शहर की लहरें तरसती हैं 
ग़लत नंबर मिलाता हूँ तो पहरों बात होती है 
- ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर


लय में डूबी हुई मस्ती भरी आवाज़ के साथ 
छेड़ दे कोई ग़ज़ल इक नए अंदाज़ के साथ 
- अज्ञात

तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो 
लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में न हो 
- मंज़र लखनवी



ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी 
उस की आवाज़ से मैं दीप जला सकता था 
- अहमद ख़याल



मुझ से जो चाहिए वो दर्स-ए-बसीरत लीजे 
मैं ख़ुद आवाज़ हूँ मेरी कोई आवाज़ नहीं 
- असग़र गोंडवी



खनक जाते हैं जब साग़र तो पहरों कान बजते हैं 
अरे तौबा बड़ी तौबा-शिकन आवाज़ होती है 
- अज्ञात



Awaz shayari, awaz shayari hindi, shayari awaz ki, teri awaz shayari, आवाज़ शायरी, आवाज़ शायरी हिंदी, शायरी आवाज़ की, तेरी आवाज़ शायरी

 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे