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गुज़र गया वो ज़माना कहूँ तो किस से कहूँ
ख़याल दिल को मिरे सुब्ह ओ शाम किस का था
क्या कहा फिर तो कहो हम नहीं सुनते तेरी
नहीं सुनते तो हम ऐसों को सुनाते भी नहीं
ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा
ये मज़ा था दिल-लगी का कि बराबर आग लगती
न तुझे क़रार होता न मुझे क़रार होता
क़दम क़दम पे तुम्हारे हमारे दिल की तरह
बसी हुई है क़यामत किसी को क्या मालूम
dagh dehlvi shayari in hindi
मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है
बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैं ने ख़्वाब देखा है
कि आप आँसू बहाते सामने दुश्मन के बैठे हैं
दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें
जाने वाली चीज़ का ग़म क्या करें
दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने
क्यूँ है ऐसा उदास क्या जाने
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा
मैं जो कह दूँ आप पर मरता हूँ मैं
dagh dehlvi love poetry
कहते है उसे जबाने उर्दू
जिसमे न हो रंग फ़ारसी का
यह क्या कहा कि दाग को पहचानते नहीं
वो एक ही तो शख्स है, तुम जानते नहीं ?
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता, यह पत्थर हो नहीं सकता
ज़फाए 'दाग' पर करते है, वो यह भी समझते है
की ऐसा आदमी मुझको मयस्सर हो नहीं सकता
daagh dehlvi two line poetry
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था?
न था रकीब तो आखिर वह नाम किसका था?
वोह क़त्ल करके मुझे हर किसी से पूछते है -
"यह काम किसने किया है, यह काम किसका था ?"
"वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे -
तुम्हे भी याद है कुछ, यह क़लाम किसका था ?
हर वक़्त पढ़े जाते है 'दाग' के अशआर
क्या तुमको कोई और सुखनवर नहीं मिलता
dagh dehlvi shayari
काबे की है हवस कभी कूए बुताँ की है
मुझको खबर नहीं, मेरी मिटटी कहाँ की है
उर्दू है जिसका नाम, हामी जानते है दाग
सारे जहाँ में, धूम हमारी जबाँ की है
दिल में समां गई है, क़यामत की शोखियाँ
दो चार दिन रहा था किसी की निगाह में
यह काम नहीं आसाँ इंसान को, मुश्किल है,
दुनिया में भला होना, दुनिया का भला करना
अल्लाह का घर काबे को कहते है वो लेकिन
देता है पता और वो मिलता है कही और
daagh dehlvi shayari
फलक देता है जिनको ऐश उनको ग़म भी होते है
जहा बजते है नक्कारे वहा मातम भी होते है
खूबियाँ लाख किसी में हो तो जाहिर न करे
लोग करते है बुरी बात का चर्चा कैसा ?
नहीं खेल ए 'दाग' यारो से कह दो
की आती है उर्दू ज़बां आते-आते
न रोना है तरीके का, न हसना है सलीके का
परेशानी म कोई काम जी से हो नहीं सकता
तेरी उल्फत की चिंगारी ने जालिम इक जहाँ फूंका
इधर चमकी उधर सुलगी यहाँ फूंका वहाँ फूंका
देखा है मयकदे में जो, ऐ शेख! कुछ न पूछ
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया
दुनिया में मजा इश्क से बहतर नहीं होता
यह जायका वो है की मयस्सर नहीं होता
Dagh Dehlvi Selected Shayari Collection
वेदाद तेरी देख के यह हाल हुआ है
आशिक कोई दुनिया में किसी पर नहीं होता
गज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया
तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते
अगर अपनी जिंदगी का हमें एतबार होता
दिल चुराकर आप तो बैठे हुए है चैन से
ढूढने वाले से पूछे कोई, क्या जाता रहा
दोस्तों से तो कुछ न निकला काम
कोई दुश्मन ही काम का मिलता
न सीधी चाल चलते है न सीधी बात करते है
दिखाते है वोह कमजोरो को तनकर बांकपन अपना
romantic dagh dehlvi poetry
हँसी आती है अपने रोने पर
और रोना है जग हँसाई का
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