Hindi Shayari Hafeez Jalandhari Selected Shayari Collection - हफ़ीज़ जालंधरी: चुनिंदा शेर - HindiShayariH
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इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके
तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके
हफ़ीज़ जालंधरी शायरी
मुझ से क्या हो सका वफ़ा के सिवा
मुझ को मिलता भी क्या सज़ा के सिवा
तल्ख़ कर दी है ज़िंदगी जिस ने
कितनी मीठी ज़बान है प्यारे
दिल से तिरा ख़याल न जाए तो क्या करूँ
मैं क्या करूँ कोई न बताए तो क्या करूँ
हफ़ीज़ जालंधरी के शेर
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
जहाँ क़तरे को तरसाया गया हूँ
वहीं डूबा हुआ पाया गया हूँ
कोई चारह नहीं दुआ के सिवा
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
हफ़ीज़ जालंधरी की शायरी
भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें
तुम्हें याद आएँगे हम याद रखना
मुझे तो इस ख़बर ने खो दिया है
सुना है मैं कहीं पाया गया हूँ
हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा
एहसाँ ये कीजिए कि ये एहसाँ न कीजिए
उस की सूरत को देखता हूँ मैं
मेरी सीरत वो देखता ही नहीं