'मज़हर-इमाम': पढ़ें चुनिंदा शायरी दो लाइन मज़हर इमाम शेर - Hindi Shayari Mazhar Imam Selected Couplets - HindiShayariH
'मज़हर-इमाम': पढ़ें मज़हर इमाम की समस्त शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और अन्य विधाओं का लेखन तथा ई-पुस्तकें मज़हर इमाम की शायरी उर्दू, हिन्दी एवं इग्लिश में उपलब्ध हैं। बेहतरीन शेर
दो लाइन मज़हर इमाम शेर
Ab kisi rah pe jalte nahi chahat ke charagh
Tu miri akhiri manzil hai mira saath na chhod
अब किसी राह पे जलते नहीं चाहत के चराग़
तू मिरी आख़िरी मंज़िल है मिरा साथ न छोड़
Ab to kuchh bhi yaad nahi hai
Hum ne tum ko chaha hoga
अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा
Chalo hum bhi wafa se baaz aaye
Mohabbat koi majboori nahi hai
चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है
मज़हर इमाम के शेर |
Woh mera jab na ho saka to fir yahi saza rahe
Kisi ko pyar jab karun woh chhup ke dekhta rahe
वो मेरा जब न हो सका तो फिर यही सज़ा रहे
किसी को प्यार जब करूँ वो छुप के देखता रहे
Ab us ko sochate hain aur hanste jate hain
Ki tere gham se talluk raha hai kitni der
अब उस को सोचते हैं और हँसते जाते हैं
कि तेरे ग़म से तअल्लुक़ रहा है कितनी देर
Kaha ye sab ne ki jo var the usi par the
Magar ye kya ki badan choor choor mera tha
कहा ये सब ने कि जो वार थे उसी पर थे
मगर ये क्या कि बदन चूर चूर मेरा था
मज़हर इमाम शायरी |
Yun na murjha ki mujhe khud pe bharosa na rahe
Pichhale mausam mein tire sath khila hun main bhi
यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे
पिछले मौसम में तिरे साथ खिला हूँ मैं भी
Ek naaz-e-be-takalluf mere tere darmiyan
Dooriyan sari mita din fasla rehne diya
एक नाज़-ए-बे-तकल्लुफ़ मेरे तेरे दरमियाँ
दूरियाँ सारी मिटा दीं फ़ासला रहने दिया
Yaad to hogi woh apni be-rukhi
Ab miri tasveer dekha kijiye
याद तो होगी वो अपनी बे-रुख़ी
अब मिरी तस्वीर देखा कीजिए
Bharosa yun to bahut tha magar dua ke liye
Jo haath hum ne uthaya toh woh utha hi nahi
भरोसा यूँ तो बहुत था मगर दुआ के लिए
जो हाथ हम ने उठाया तो वो उठा ही नहीं