सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

'मज़हर-इमाम': पढ़ें चुनिंदा शायरी दो लाइन मज़हर इमाम शेर - Hindi Shayari Mazhar Imam Selected Couplets - HindiShayariH

'मज़हर-इमाम': पढ़ें  मज़हर इमाम की समस्त शायरी, ग़ज़ल, नज़्म और अन्य विधाओं का लेखन तथा ई-पुस्तकें मज़हर इमाम की शायरी उर्दू, हिन्दी एवं इग्लिश में उपलब्ध हैं। बेहतरीन शेर 






Hindi Shayari Mazhar Imam 1 of 3
Hindi Shayari of Mazhar Imam



दो लाइन मज़हर इमाम शेर
 Ab kisi rah pe jalte nahi chahat ke charagh 
Tu miri akhiri manzil hai mira saath na chhod


अब किसी राह पे जलते नहीं चाहत के चराग़ 
तू मिरी आख़िरी मंज़िल है मिरा साथ न छोड़ 


Ab to kuchh bhi yaad nahi hai 
Hum ne tum ko chaha hoga

अब तो कुछ भी याद नहीं है 
हम ने तुम को चाहा होगा 


Chalo hum bhi wafa se baaz aaye
Mohabbat koi majboori nahi hai 

चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए 
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है 


मज़हर इमाम के शेर 2 of 3
मज़हर इमाम के शेर

Woh mera jab na ho saka to fir yahi saza rahe 
Kisi ko pyar jab karun woh chhup ke dekhta rahe

वो मेरा जब न हो सका तो फिर यही सज़ा रहे 
किसी को प्यार जब करूँ वो छुप के देखता रहे 


Ab us ko sochate hain aur hanste jate hain 
Ki tere gham se talluk raha hai kitni der

 
अब उस को सोचते हैं और हँसते जाते हैं 
कि तेरे ग़म से तअल्लुक़ रहा है कितनी देर 


Kaha ye sab ne ki jo var the usi par the 
Magar ye kya ki badan choor choor mera tha 

कहा ये सब ने कि जो वार थे उसी पर थे 
मगर ये क्या कि बदन चूर चूर मेरा था 

मज़हर इमाम शायरी 1 of 3
मज़हर इमाम शायरी


Yun na murjha ki mujhe khud pe bharosa na rahe 
Pichhale mausam mein tire sath khila hun main bhi

यूँ न मुरझा कि मुझे ख़ुद पे भरोसा न रहे 
पिछले मौसम में तिरे साथ खिला हूँ मैं भी 


Ek naaz-e-be-takalluf mere tere darmiyan
Dooriyan sari mita din fasla rehne diya

एक नाज़-ए-बे-तकल्लुफ़ मेरे तेरे दरमियाँ 
दूरियाँ सारी मिटा दीं फ़ासला रहने दिया 

Yaad to hogi woh apni be-rukhi
Ab miri tasveer dekha kijiye

याद तो होगी वो अपनी बे-रुख़ी 
अब मिरी तस्वीर देखा कीजिए


Bharosa yun to bahut tha magar dua ke liye
 Jo haath hum ne uthaya toh woh utha hi nahi

भरोसा यूँ तो बहुत था मगर दुआ के लिए 
जो हाथ हम ने उठाया तो वो उठा ही नहीं 
   

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे