सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Hindi Kahani Aurat Ka Roop Best Story In Hindi औरत का रूप: क्या शादी के बाद मुमताज के सपने पूरे हुए? - HindiShayariH

 औरत का रूप: क्या शादी के बाद मुमताज के सपने पूरे हुए?
मुमताज शादी कर के आई थी. उस के भी कुछ अरमान थे, पर उस के शौहर अब्दुल को मानो एक कुंआरी लड़की के अरमानों की कोई फिक्र ही नहीं थी.



Writer- नीरज कुमार मिश्रा


आखिरकार मुमताज ने एक दिन अपनी सास से अपने मन की बात कह ही दी, ‘‘अम्मी… जब से मैं शादी कर के आई हूं, तब से ये रोज रात में कहीं निकल जाते हैं और सुबह को ही घर लौटते हैं… और मु?ो हाथ भी नहीं लगाते… मैं शादी से पहले जैसी थी, वैसी ही आज भी हूं.’’

‘‘अच्छा… थोड़ा मूडी तो है मेरा बेटा… और फिर कामधंधे का भी तनाव रहता है उस पर. ऐसे में एक बीवी की जिम्मेदारी होती है कि वह घर के साथसाथ अपने शौहर को भी संभाले. अगर शौहर उस पर किसी वजह से ध्यान नहीं दे रहा है, तो अपनी अदाओं से उसे रि?ाए और शौहर की मरजी के हिसाब से चल कर उसे खुश रखे.’’

अब्दुल की अम्मी बातोंबातों में मुमताज को रास्ता दिखा गई थीं.

आज शाम को जब अब्दुल घर आया, तो मुमताज ने होंठों पर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी और मैरून रंग का लिबास पहना हुआ था.

मुमताज को देखते ही अब्दुल को भी यह अहसास हो गया था कि आज वह कुछ अलग लग रही है, इसलिए जब अब्दुल बाथरूम से नहा कर निकला तो उस ने मुमताज को अपनी बांहों में भर लिया और होंठों से अपने इश्क की छाप उस के जिस्म पर लगाने लगा.

मुमताज का कुंआरा जिस्म धधक उठा था और आंखें मदहोशी से मुंदने लगीं. दोनों के जिस्म एकदूसरे में समाने को बेताब थे.

अब्दुल ने मुमताज के ऊपरी कपड़े भी हटा दिए. शर्म से मुमताज ने अपने हाथों से कैंची बना कर अपने गोरे उभारों को ढक लिया, पर इस कोशिश में वह नाकाम रही, क्योंकि उस के हाथों को अब्दुल ने खोल दिया था और अब हुस्न का ज्वालामुखी अब्दुल के सामने था.

अब्दुल ने अपने होंठ आगे बढ़ाए, पर  इतने में अब्दुल का मोबाइल बज उठा. ऐसे वक्त किसी का भी फोन आना अब्दुल को अखर रहा था, ‘‘अरे मुमताज, थोड़ा काम याद आ गया है… अभी निबटा कर आता हूं.’’


‘भला अपनी नई दुलहन को इस तरह छोड़ कर जाता है कोई… और फिर ये इस तरह से कहां चले जातें हैं,’ गहरी सोच में पड़ गई थी मुमताज.

अगली सुबह तकरीबन 9 बजे की बात है, जब मुमताज अपने कमरे से बाहर आ रही थी, तो उस ने बरामदे में नौकरानी सबरीना और अब्दुल को एकसाथ खड़े हुए देखा. वे दोनों बहुत धीमी आवाज में एकदूसरे से बातें कर रहे थे.

उसी समय अब्दुल ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और सबरीना को दिए और सबरीना ने जल्दी से वे पैसे अपनी कुरती में रख लिए.

मुमताज एक पल को ठिठक गई थी. क्या अब्दुल और सबरीना के बीच कुछ चल रहा है?

‘अरी मुमताज, जिस नेकदिल शौहर ने अपने काम के आगे अभी तक तेरे कुंआरे जिस्म को छुआ तक नहीं है, वह भला एक नौकरानी के साथ… तू भी न जाने क्याक्या सोच लेती है…’ अपने सिर को ?ाटक कर अब्दुल की तरफ मुसकराते हुए बढ़ गई मुमताज.

एक दिन मेज पर कुछ कागजात सही करतेकरते एक पुरानी किताब नीचे गिर गई और उस में से एक तसवीर बाहर निकल गई. मुमताज की नजर उस तसवीर पर टिकी तो हटी ही नहीं. हटती भी कैसे… यह तो उस के शौहर अब्दुल की तसवीर है, जो सिर पर सेहरा बांधे किसी और के साथ है… मतलब, अब्दुल की शादी पहले भी किसी और से हो चुकी है?

आंखों में आंसुओं का सैलाब ले कर मुमताज दौड़ीदौड़ी अपनी सास के पास पहुंची, ‘‘अम्मी, यह क्या… यह इन के साथ कौन है? क्या अब्दुल पहले से ही शादीशुदा हैं?’’ एकसाथ कई सवाल मुमताज के जेहन में घूम रहे थे.

‘‘बेटी मुमताज, हम ने तुम से यह राज जरूर छिपाया है, पर यकीन मानो हमारी मंशा कुछ भी गलत नहीं थी. अब्दुल का निकाह जिस लड़की से हुआ था, वह दिमागी रूप से बीमार थी. उस के घर वालों ने अपने सिर की बला टालने के लिए हम से ?ाठ बोल कर अब्दुल के साथ अपनी लड़की को बांध दिया.’’


‘‘पर अम्मी, जो धोखा आप के साथ हुआ, वही आप लोगों ने मेरे साथ दोहरा दिया. आप लोगों ने हम से यह बात क्यों छिपाई? हमें यह बताने की जरूरत ही नहीं सम?ा गई कि अब्दुल का बीता समय ऐसे हादसे से भरा रहा है और क्या अब आप लोगों का इस तरह राज छिपाना मेरे और अब्दुल के बीच तलाक की वजह नहीं बन सकता है…’’

‘‘मुमताज बेटी… तुम्हारा गुस्सा जायज है, पर जरा यह भी तो सोचो कि अब उस लड़की का अब्दुल की जिंदगी में कोई वजूद नहीं है. वह लड़की एक दिन पता नहीं घर छोड़ कर कहां चली गई. हम लोगों ने चारों तरफ उसे बहुत ढूंढ़ने की कोशिश की, पर वह नहीं मिली…’’

अब्दुल की अम्मी ने लंबी सांस ले कर बोलना जारी रखा, ‘‘वह तो भला हो डाक्टर खान का, जिन्होंने इस हादसे से उबरने में अब्दुल की मदद की. अब अगर तुम उसे छोड़ कर जाना चाहती हो तो जा सकती हो… मेरे अब्दुल के नसीब में औरत का साथ ही नहीं है शायद,’’ अम्मी की आंखों में आंसू तैर आए थे.

मुमताज अपने कमरे में लौट आई और अपनेआप को घर के कामों में मसरूफ कर लिया.

‘‘बेटी मुमताज… मैं ने तुम्हें डाक्टर खान के बारे में बताया था न, जिन्होंने अब्दुल का इलाज किया था… उन से हमारे घरेलू संबंध हैं और वे लोग आज शाम को हमारे घर खाने पर आ रहे हैं,  इसलिए कुछ अच्छा सा बना लेना,’’ अम्मी ने कहा.

‘‘जी अम्मी, ठीक है… मैं सब संभाल लूंगी.’’

दिनभर किचन की मेहनत के बाद शाम को खाने की मेज पर जब उस के बनाए खाने की तारीफ होने लगी, तो मुमताज के दिल को सुकून मिला.

‘‘अरे मुमताज, जरा हमारे साथ भी तो बैठ लो,’’ मिसेज खान कहतेकहते उठ कर किचन में आ गई थीं.

‘‘प्यार तो खूब करता होगा अब्दुल तुम्हें?’’ मिसेज खान ने पूछा.


‘‘जी, अभी तो इन्हें काम में ही काफी देर हो जाती है और फिर मेरे पास भी काफी काम रहता है… ऐसे में…’’ आगे की बातों को मुमताज ने मन में ही रोक लिया था.

‘‘अच्छा तो यह बात है… कोई बात नहीं, मैं तुम्हें ऐसे नुसखे बताती हूं, जिन से तू अपने शौहर के दिल पर राज करेगी,’’ मिसेज खान ने मुमताज को अपने शौहर को बस में रखने के गुर बताए.

पहली ही मुलाकात में मिसेज खान ने मुमताज के मन को मोह लिया था और दोनों ने एकदूसरे के ह्वाट्सएप नंबरों को भी ले लिया था.

एक शाम को अब्दुल की गाड़ी की आवाज आई, तो मुमताज की नजर गेट के बाहर चली गई. उस ने देखा कि अब्दुल के साथ कोई साथी सवारी थी, जो औरत थी. उस ने अपने मुंह पर कपड़ा लपेटा हुआ था. वह औरत अब्दुल की गाड़ी से उतर कर एक कैब की ओर बढ़ गई.

‘तो मेरा शक सही था… अब्दुल का जरूर किसी के साथ चक्कर चल रहा है…’ मुमताज अब्दुल की अम्मी के पास गई और बोली, ‘‘अम्मी, मेरा शक सही था… मैं ने इन के साथ एक औरत को देखा है. जो इन की गाड़ी से उतर कर जा रही थी.’’

‘‘अरी मुमताज, तू बेवजह शक कर रही है. मेरा बेटा बहुत रहमदिल है, इसलिए महल्ले में रहने वाली किसी औरत को उस ने बिठा लिया होगा…’’ अम्मी ने सिरे से ही मुमताज की बात खारिज कर दी.

मुमताज परेशान हो उठी. वह जानती थी कि यह बात अम्मी ने अभी तक मानी नहीं और मायके में भी बताने से कोई फायदा नहीं होगा…

रात में जब अब्दुल आया, तो मुमताज ने उसे बताया कि उस के अब्बू की तबीयत अचानक खराब हो गई है और इसलिए उसे 2 दिन के लिए अपने मायके जाना पड़ेगा.

उस की इस बात पर अब्दुल ने ऐंठ कर कहा कि उस के पास समय नहीं है, इसलिए वह अम्मी के साथ चली जाए.


मुमताज का मायका इसी शहर में था, इसलिए वह अम्मी को ले कर

चली गई.

मुमताज और अम्मी के मायके जाने के बाद अब्दुल किसी को मोबाइल पर फोन करने लगा, ‘‘हां सुनो… आज मुमताज और अम्मी दोनों बाहर गई हैं और वह भी पूरे 2 दिन के लिए… ऐसा करो, तुम अभी आ जाओ… हम दोनों खूब जम कर मस्ती करेंगे… और हां, अपने हाथ की बनी बिरयानी जरूर लाना…’’

कुछ देर बाद ही अब्दुल के घर पर कोई औरत आ गई, जिसे अब्दुल ने अपनी बांहों में भर लिया और उस के पूरे जिस्म को चूमने लगा.

‘‘अरे, इतनी भी क्या जल्दी है… पहले बिरयानी तो खा लो…’’ उस औरत ने कहा.

‘‘जिस की आंखों के सामने तुम्हारे जैसी लाजवाब गोश्त वाली हूर हो, वह भला ये बिरयानी क्यों खाएगा…’’ यह कहने के साथ ही अब्दुल ने उस औरत के कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में वे दोनों एकदूसरे में समा जाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे. अब्दुल ने उस औरत के साथ कई बार अपनी प्यास बु?ाई.

‘‘तुम्हें मु?ा में ऐसा क्या दिख गया, जो तुम ने मु?ो अपना जिस्म सौंप दिया?’’ अब्दुल ने उस औरत से सवाल किया.

‘‘मेरे शौहर दिनभर मेहनत कर के आते हैं और जल्दी ही सो जाते हैं,’’ उस औरत ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा.

अब्दुल उस औरत के इश्क में डूबउतर ही रहा था कि अचानक से दरवाजे की घंटी बजी, तो अब्दुल चौंक गया, ‘‘भला इस समय कौन हो सकता है?’’

अब्दुल ने एक चादर अपने बदन पर डाली और दरवाजा खोला, तो सामने मुमताज को देख कर चौंक गया, ‘‘तुम… पर, तुम तो 2 दिन के लिए गई थीं न, आज तो पहला दिन ही हुआ है.’’

‘‘पर, तुम हमें देख कर परेशान क्यों हो रहे हो… जरा अंदर तो आने दो.’’


तभी अंदर से आवाज आई, ‘‘अरे क्या हुआ जानू, कौन है जो हमारा मजा खराब कर रहा है?’’

‘‘मैं बताती हूं कि कौन है…’’ इतना कह कर मुमताज अंदर चली गई. अंदर कमरे में बिस्तर पर और कोई नहीं, बल्कि मिसेज खान लेटी हुई थीं.

मिसेज खान के ऊपर के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. मुमताज को सामने देख कर वे चौंक गई थीं और जल्दबाजी में कपड़े पहनने लगीं.

‘‘तो तुम ही हो, मेरे शौहर के बिजी होने की वजह. तुम्हें मेरा घर तोड़ते हुए शर्म नहीं आई…’’ यह कहते हुए मुमताज ने अपना मोबाइल निकाल लिया था और मिसेज खान की वीडियो क्लिप बनाने लगी.

‘‘अच्छा हुआ जो तुम सब जान गई हो… अब्दुल, तुम देख क्या रहे हो… पकड़ो इस को और मिट्टी का तेल डाल कर आग लगा दो इस के बदन में… अब हमें इस का भी वही हाल करना पड़ेगा, जो हम ने तुम्हारी पहली बीवी का किया था,’’ मिसेज खान की यह बात सुन कर चौंक गई थी मुमताज.

‘‘तो तुम क्या सोच रही हो कि मेरी पहली बीवी पागल थी. नहीं, वह तो तुम से भी ज्यादा खूबसूरत थी. बस, उस की गलती यही थी कि उस ने हमें रंगरलियां मनाते हुए देख लिया था…’’

मुमताज के हाथों में मोबाइल का कैमरा अब भी सबकुछ रिकौर्ड कर

रहा था.

तभी अब्दुल ने एक डंडा मुमताज के सिर पर दे मारा. मुमताज की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह फर्श पर बेहोश हो कर गिर गई.

मुमताज को कितनी देर बाद होश आया था उसे याद नहीं, पर जब होश आया तो उस ने अपनेआप को बिस्तर पर पाया और आंखों के सामने अम्मी थीं.

अम्मी उसे देख कर मुसकरा उठीं, ‘‘अब चिंता की कोई बात नहीं है मुमताज. भले ही तुम मेरी बहू हो, पर मेरे लिए अब्दुल से बढ़ कर हो… अब्दुल और उस चुड़ैल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.’’


‘‘पर अम्मी, वे लोग तो मु?ो मार कर जलाने जा रहे थे, फिर आप यहां कैसे पहुंच गईं?’’ मुमताज ने पूछा.

‘‘मुमताज, अब्दुल ने अपनी पहली बीवी को मार कर मु?ो ?ाठी कहानियां सुनाई थीं और मु?ो भी उस की बातों पर यकीन हो गया था, पर तु?ा से निकाह करने के बाद भी उस ने तुम में बेरुखी ही दिखाई, तभी मेरी पारखी आंखों ने अब्दुल के बदलते मिजाज को भांप लिया था, पर मिसेज खान ही मेरे बेटे को अपने कब्जे में कर के अपना मुंह काला करेंगी, यह मैं ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था.’’

‘‘पर अम्मी, मिसेज खान तो शादीशुदा हैं और फिर उन के शौहर शहर के एक अच्छे डाक्टर हैं, फिर उन्होंने अब्दुल के साथ ऐसा क्यों किया?’’ मुमताज ने पूछा.

‘‘क्या बताऊं मुमताज, अगर औरत अपने जमीर को ऊंचा उठाती है, तो वह आसमां की बुलंदियों को छू लेती है. वह अच्छी मां बनती है, अच्छी बहन बनती है और अच्छी बीवी भी बनती है और अगर वह नीचे गिरती है, तो गड्ढे में गिरती ही चली जाती है और मिसेज खान बन जाती है…’’औरत का एक रूप यह भी होता है.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे