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Haidar Ali Atish Shayari Collection - हैदर अली आतिश: उर्दू ग़ज़ल का चमकदार सितारा

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न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा 
वो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं 

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है 
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है 

आज तक अपनी जगह दिल में नहीं अपने हुई 
यार के दिल में भला पूछो तो घर क्यूँ-कर करें 
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा 
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया 

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर 
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा 

आप की नाज़ुक कमर पर बोझ पड़ता है बहुत 
बढ़ चले हैं हद से गेसू कुछ इन्हें कम कीजिए 
बे-गिनती बोसे लेंगे रुख़-ए-दिल-पसंद के 
आशिक़ तिरे पढ़े नहीं इल्म-ए-हिसाब को 

मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को 
सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए 
ये दिल लगाने में मैं ने मज़ा उठाया है 
मिला न दोस्त तो दुश्मन से इत्तिहाद किया 

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था 
बग़ल में सनम था ख़ुदा मेहरबाँ था 
काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता 
यार मिलता है तो पहलू ही में है मिल जाता

दुनिया ओ आख़िरत में तलबगार हैं तिरे 
हासिल तुझे समझते हैं दोनों जहाँ में हम 

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