साग़र सिद्दीक़ी की प्रसिद्ध शेर, दो लाइन के शेर जो की प्रेरणादायक है | साग़र सिद्दीक़ी शायरी, साग़र सिद्दीक़ी के शेर, saghar siddiqui mast shayar
सिर्फ़ धुँदलाए सितारों की चमक देखी है
कब हुआ कौन हुआ किस से ख़फ़ा याद नहीं
मिरे दामन में शरारों के सिवा कुछ भी नहीं
आप फूलों के ख़रीदार नज़र आते हैं
मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
बंदा-पर्वर जो हम पे गुज़री है
हम बताएँ तो क्या तमाशा हो
हाए ये बेगानगी अपनी नहीं मुझ को ख़बर
हाए ये आलम कि तू दिल से जुदा होता नहीं
बादल फ़ज़ा में आप की तस्वीर बन गए
साया कोई ख़याल से गुज़रा तो रो दिए
तुम गए रौनक़-ए-बहार गई
तुम न जाओ बहार के दिन हैं
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया
आज फिर बुझ गए जल जल के उमीदों के चराग़
आज फिर तारों भरी रात ने दम तोड़ दिया