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Hindi Romantic Story Piya Babwari Romantic Story in Hindi पिया बावरी

पिया बावरी रोमांटिक स्टोरी इन हिंदी किसकी दीवानी थी आरती
जब कोरोना के चलते लौकडाउन लगा, तब सबकुछ जैसे थम सा गया. घर में ही कैद हो कर रह गए. उस दौरान सभी की हकीकत सामने आ गई. हाउस वाइफ का मतलब समझ आया. 

पिया बावरी रोमांटिक स्टोरी इन हिंदी
पिया बावरी रोमांटिक स्टोरी इन हिंदी 





पूनम अहमद 
romantic story in hindi love



अजय औफिस के लिए निकला तो आरती भी उसे कार तक छोड़ने नीचे उस के साथ ही उतर आई. यह उस का रोज का नियम था.

ऐसा दृश्य कहीं और देखने को नहीं मिलता था कि मुंबई की सुबह की भागदौड़ के बीच कोई पत्नी रोज अपने पति को छोड़ने कार तक आए.

आरती का बनाया टिफिन और अपना लैपटाप बैग पीछे की सीट पर रख आरती को मुसकरा कर बाय बोलते हुए अजय कार के अंदर बैठ गए.

आरती ने भी हाथ हिला कर बाय किया और अपने रूटीन के अनुसार सैर के लिए निकलने लगी तो कुछ ही दूर उस की नेक्स्ट डोर पड़ोसन अंजलि भी औफिस के लिए भागती सी चली जा रही थी.



पिया बावरी रोमांटिक स्टोरी इन हिंदी 

अंजलि ने आरती पर नजर डाली और कुछ घमंड भरी आवाज में कहा, “हैलो आरती, भाई सच कहो, सब को औफिस के लिए निकलते देख दिल में कुछ तो होता ही होगा कि सबकुछ कर रहे हैं. काश, मैं भी कोई जौब करती. मन तो करता होगा सुबह तैयार हो कर निकलने का. यहां तो लगभग सभी जौब करती हैं.”

आरती खुल कर हंसी,” न, बाबा, तुम लोगों को औफिस जाना मुबारक. हम तो अभी सैर से आ कर न्यूजपेपर पढेंगे, आराम करेंगे, फिर बच्चों को कालेज भेजने की तैयारी.’’

”सच बताओ आरती, कभी दिल नहीं  करता कामकाजी स्त्री होने का?”

”न भाई, बिलकुल नहीं. कमाने के लिए पति है मेरे पास,” आरती हंस दी, फिर कहा,” तुम थकती नहीं हो इस सवाल से? मैं कितनी बार पूछ चुकी हो तुम से?”

”फिर तुम किसलिए हो?” कुछ कड़वे से लहजे में अंजलि ने पूछा, तो उस के साथ तेज चलती हुई आरती ने कहा,” अपने पति को प्यार करने के लिए, लो, तुम्हारी बस आ गई,” आरती उसे बाय कह कर सैर के लिए निकल गई.

बस में बैठ कर अंजलि ने बाहर झांका, आरती तेजतेज कदमों से सैर कर रही थी. रोज की तरह पौन घंटे की सैर कर के जब तक आरती आई, पीहू और यश कालेज जाने के लिए तैयार थे. फ्रेश हो कर बच्चों के साथ ही उस ने नाश्ता किया, फिर दोनों को भेज न्यूजपेपर पढ़ने लगी. उस के बाद मेड के आने पर रोज के काम शुरू हो गए.


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आरती एक पढ़ीलिखी हाउस वाइफ थी. नौकरी न करने का फैसला उस का खुद का था. वह घरपरिवार की जिम्मेदारियां बहुत संतोष और खुशी से निभा कर अपनी लाइफ में बहुत खुश थी. वह आराम से रहती, खूब हंसमुख स्वभाव था, न किसी से शिकायतें करने की आदत थी, न किसी से फालतू उम्मीदें. वह वर्किंग महिलाओं का सम्मान करती थी, समझती थी कि इस महानगर की भागदौड़ में घर से निकलना आसान काम नहीं होता, पर उसे यह बात हमेशा अजीब लगती कि वह वर्किंग महिलाओं का सम्मान करती है, तो आसपास की  वर्किंग महिलाएं अंजलि, मीनू और रीता उस के हाउस वाइफ होने का मजाक क्यों बनाती हैं, उसे नीचे क्यों दिखाती हैं.

उसे याद है, जब वह शुरूशुरू में इस सोसाइटी में रहने आई, तो अंजलि ने पूछा था, ”कुछ काम नहीं करतीं आप? बस घर में  रहती हो?”

उस के पूछने के इस ढंग पर आरती को हंसी आ गई थी. उस ने अपने स्वभाव के अनुसार हंस कर जवाब दिया था, ”भाई, घर में भी जो काम होते हैं, उन्हें करती हूं, अपना हाउस वाइफ होना ऐंजौय करती हूं.‘’

”तुम्हारे पति तुम्हें कहते नहीं कि कुछ काम करो बाहर जा कर?”

”नहीं, वे इस में खुश रहते हैं कि जब वे औफिस से लौटें तो मैं उन्हें खूब टाइम दूं, उन्हें भी घर लौटने पर मेरे साथ समय बिताना अच्छा लगता है.‘’

”कमाल है.‘’

इस पर आरती हंस दी थी. पर उसे यह समझ आ गया था कि इन लोगों को आसपास की हाउस वाइफ की लाइफ बिलकुल खराब लगती है. यहां तो मेड भी आ कर उत्साह से पहला सवाल यही पूछती है कि “मैडम, काम पर जाती हो क्या?”

उस के आसपास वर्किंग महिलाएं ही ज्यादा थीं, जो पूरा दिन घर में रहने वाली महिलाओं को किसी काम का न समझतीं.

अजय और आरती ने प्रेमविवाह किया था. आज भी इतने सालों बाद भी दोनों समय मिलते ही एकदूसरे के साथ होना ऐंजौय करते, दोनों को एकदूसरे का साथ प्यारा लगता, कभी रूठना होता भी तो मानमनौव्वल के बाद और करीब आ जाते.


आरती के कोई जौब न करने का फैसला अजय को ठीक लगा था. इस में उसे कोई भी परेशानी नहीं थी. अंजलि, मीनू, रीता के पति भी एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. वह तो किसी पार्टी में किसी के दोस्त के यह पूछने पर कि भाभीजी क्या करती हैं, तो आरती को निहारता हुआ अजय हंस कर कह देता, “उस का काम है मुझे प्यार करना. और वह बखूबी इस काम को अंजाम देती है.‘’

आसपास खड़ी हो कर यह बात सुन रही अंजलि, मीनू और रीता इस बात पर एकदूसरे को देखती और इशारे करती कि ये देखो, ये भी अजीब ही है.‘’

ऐसी ही एक पार्टी में मीनू के पति ने बात छेड़ दी, ”आरतीजी, आप बोर नहीं होती घर में रह कर? मीनू तो घर में रहने पर बहुत जल्दी बोर हो जाती है, यह तो बहुत ऐंजौय करती है अपने पैरों पर खड़ी होना. हर काम अपनी मरजी से करने में एक अलग ही खुशी होती है. आप तो काफी एजुकेटेड हैं, आप क्यों कोई जौब नहीं करतीं?”

आरती ने खुशदिली से कहा, ”मुझे तो शांति से घर में रहना पसंद है. मैं ने तो शादी से पहले ही अजय से कह दिया था कि मैं कोई जौब नहीं करूंगी. मैं बस घर में रह कर अपनी जिम्मेदारियां उठाऊंगी.”

फिर आरती ने और मस्ती से कहा, ”मैं क्यों करूं कोई काम. मेरा पति है काम करने के लिए, वह कमाता है, मैं खर्च करती हूं मजे से.

“और मजे की बातें आज बता ही देती हूं, मैं अपने मन में अजय को आज भी पति नहीं, प्रेमी ही समझती हूं अपना, जो मेरे आसपास रहे तो मुझे अच्छा लगता है. मैं नहीं चाहती कि मैं कोई जौब करूं और वह मुझ से पहले आ कर घर में मेरा इंतजार करे, किसी भी मेड के हाथ का बना खाना खा कर मेरे पति और बच्चों की हेल्थ खराब हो. मुझे तो अजय के हर काम अपने हाथों से करने अच्छे लगते हैं.


“आप लोगों को पता है कि मैं लाइफ की किन चीजों को आज भी ऐंजौय करती हूं. अजय जब नहा कर निकलें तो मैं उन का टावल उन के हाथ से ले कर तार पर टांग दूं, उन का टिफिन कोई बोझ समझ कर नहीं, मोहब्बत से पैक करूं, और बदले में पता है मुझे क्या मिलता है,” आरती बताते हुए ही शरमा गई, ”अपने लिए ढेर सी फिक्र और प्यार, असल में आप लोग घर पर रहना जितनी बुरी चीज समझने लगे हैं, उतनी बुरी बात ये है नहीं. मैं हैरान हूं, जब मैं वर्किंग लेडीज की रेस्पेक्ट कर सकती हूं तो आप लोग एक हाउस वाइफ के कामों की वैल्यू नहीं समझते तो अजीब सी बात लगती है.

“कल हमारी पीहू भी अपने पैरों पर खड़ी होगी, जौब करेगी, यह उस की चौइस ही होगी कि उसे क्या पसंद है. हां, वह किसी हाउस वाइफ का मजाक कभी नहीं उड़ाएगी, यह भी जानती हूं मैं.’’

सब चुप से हो गए थे. आरती के सभ्य शब्दों में कही बात का असर जरूर हुआ था. सब इधरउधर हुए, तो रीता ने कहा, ‘’आरती, मुझे तुम को थैंक्स भी बोलना था. उस दिन जब घर पर रिमी अकेली थी. हम दोनों को औफिस से आने में देरी हो गई थी, तो तुम ने उसे बुला कर पीहू के साथ डिनर करवाया, हमें बहुत अच्छा लगा.‘’


पिया की बावरी रोमांटिक स्टोरी इन दिनों लव 

”अरे, यह कोई बड़ी बात नहीं है. बच्चे तो बच्चे हैं. पीहू ने बताया कि रिमी अब तक अकेली है, तो मैं ने उसे अपने पास बुला लिया था.”

मीनू आरती के ऊपर वाले फ्लैट में रहती थी. उस ने पूछ लिया, ”आरती, तुम ने जो अजय को औफिस में कल करेले की सब्जी दी थी, उस की रेसिपी देना, अमित ने भी टेस्ट की थी, बोल रहे थे कि बहुत बढ़िया बनी थी. ऐसी सब्जी उन्होंने कभी नहीं खाई थी, और पता है, अमित बता रहे थे कि अजय तुम्हारी बहुत तारीफ करते हैं.”


अमित और अजय एक ही औफिस में थे. आरती हंस पड़ी, ”अजय का बस चले तो वे रोज करेले बनवाएं, रेसिपी भी बता दूंगी और जब भी कभी बनाऊंगी, भेज भी दूंगी.‘’

थोड़े दिन आराम से बीते, काफी दिन से कोई आपस में मिला नहीं था. तभी कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हो गया था. सब वर्क फ्रोम होम कर रहे थे. अब अंजलि, मीनू, रीता की हालत खराब थी. न घर में रहने का शौक, न आदत. सब घर में बंद. लौकडाउन ने सब की लाइफ ही बदल कर रख दी थी. न कोई मेड आ रही थी, न कोई घर के काम संभाल पा रहा था. अब सब आपस में बस कभीकभी फोन ही करते. एक आरती थी, जिस ने कोई भी शिकायत किसी से नहीं की. जितना काम होता, उस में किसी की थोड़ी हेल्प ले लेती. अजय तो अब और हैरान था कि जहां उस का हर दोस्त फोन करते ही शुरू हो जाता कि ‘यार, कहां फंस गए, औफिस के काम करो, फिर घर के. लड़ाई भी होने लगी है ज्यादा,’ वहीं वह आरती को धैर्य से सब काम संभालता देखता. वह भी थोड़ेबहुत काम सब से करवा लेती, पर ऐसे नहीं  कि घर में जैसे कोई तूफान आया है. आराम से जब बच्चे औनलाइन पढ़ते, वह खुद औफिस के कामों में बिजी होता. आरती सब शांति से करती रहती. इस दौरान तो उस ने आरती के और गुण भी देख लिए. वह उस पर और फिदा था.

अमित परेशान था, घर से काम करने पर तो औफिस के काम ज्यादा रहने लगे थे, ऊपर से उसे अपने बड़े बालों पर बहुत गुस्सा आता रहता, सारे सैलूंस बंद थे. कहने लगा, ”एक तो इतनी जरूरी वीडियो काल है आज. औफिस के कितने लोग होंगे और मेरे बाल देखो, शक्ल ही बदल गई है घर में रहतेरहते, क्या हाल हो गया है बालों का.”


उस की चिढ़चिढ़ देख मीनू बोली, “इतना चिढ़चिढ़ क्यों कर रहे हो? सब का यही हाल होगा, बाकियों ने कहां कटवा रखे होंगे बाल. सब ही परेशानी में हैं आजकल.”

अमित को बहुत देर झुंझलाहट होती रही. उस दिन की मीटिंग शुरू हुई, तो सभी के बाल बढ़े हुए थे. पहले तो सब कलीग्स इस बात पर हंसे, फिर अचानक अजय के बहुत ही फाइन हेयर कट पर सब की नजर गई तो सब बुरी तरह चौंके.

एक कलीग ने कहा, ”ये तुम्हारा हेयरकट कहां हो गया? इतना बढ़िया… कहां हम सब जंगली लग रहे हैं, और तुम तो जैसे अभीअभी किसी सैलून से निकले हो.”

अजय ने मुसकराते हुए कहा, ”आरती ने किया है. और मेरा ही नहीं, बच्चों का भी. वे भी इतना खुश हैं.”

सभी उस के खास दोस्त आरती की तारीफ करने लगे थे.

अमित अपने लुक पर बहुत  ध्यान देता था. जब वह काम से फ्री हुआ तो उस ने एक ठंडी सांस ली, उठ कर फ्रेश हुआ और शीशे के सामने खड़े हो कर खुद को देखने लगा. मीनू भी लैपटाप पर वहीं कुछ काम कर रही थी, पूछा, ”क्या निहार रहे हो?”

”अपने बाल…’’

”क्या…? कोई और काम नहीं है क्या तुम्हें? हो गई न मीटिंग? सब के ऐसे ही बढ़े हुए थे न…?”

”अजय का हेयरकट बहुत जबरदस्त था.‘’

”क्या…?” चौंकी मीनू.

”हां, आरती ने अजय और  बच्चों का बहुत शानदार हेयरकट कर दिया है. चेहरा चमक रहा था अजय का. ये औरत है, क्या है?”

मीनू ने ठंडी सांस ले कर कहा, “ये पिया बावरी है.”

यह सुन कर अमित को हंसी आ गई, ”डियर, कभी तुम भी बन जाओ पिया बावरी.”

मीनू ने हाथ जोड़ दिए और मुसकराते हुए कहा, ”आसान नहीं है.‘’

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