ख्वाबों की गाजर घास
किसी कॉलोनी में यूं ही पड़ा खाली प्लॉट , आसपास के रहवासियों के लिए बड़ा उपयोगी और वरदान सिद्ध होता है । खुद उग आई गाजर घास की ' फसल ' के साथ यह ट्रेचिंग ग्राउंड की भांति कूड़ा - करकट डालने , पालतू जानवर बांधने , मल विसर्जन या घरों के वेस्ट वाटर की निकासी में बहुत काम आता है । किसी जमाने से चली आ रही कहावत ' खाली दिमाग , शैतान का घर ' की तर्ज पर इसके संदर्भ में कहा जा सकता है कि खाली प्लॉट - सभी का घर । प्लॉट मालिक यदि चेतावनी वाला बोर्ड लगा दे या वायर फेंसिंग करवा दे तो भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता । चेतावनी वाले बोर्ड का खंभा जानवरों को बांधने में और फेंसिंग के तार लोगों के मोटे - मोटे कपड़े सुखाने के काम आते हैं ।
Short Story Khwabon Ki Gajar Ghas
आम आदमी का दिमाग भी कई राजनीतिक पार्टियों के लिए खाली प्लॉट का ही काम करता है । वह शैतान का घर बने , इसके पहले ही तमाम नुमाइदे उसे अपनी तरह से इस्तेमाल करके उसमें ख्वाबों की गाजर घास उगाने में सफल हो जाते हैं । कई लोग नाना प्रकार के सब्जबाग दिखाकर अपनी - अपनी फसल उगा लेते हैं , जिसकी कटाई अक्सर चुनाव के समय होती है । समय - समय पर घोषणाओं और वादों के खाद - पानी भी मिलते ही रहते हैं । बस फर्क इतना है कि ' वहां ' गाजर घास खुद उग आती है और यहां ' उगाने के लिए माननीय को काफी मेहनत करनी पड़ती है । प्राकृतिक आपदा की तरह यहां भी लहर का खतरा सदा बना रहता है । अगल - बगल के रहवासियों के लिए वह दिन बड़ा दुखद होता है , जब प्लॉट पर निर्माण की सुगबुगाहट प्रारंभ हो जाती है ।
ख्वाबों की गाजर घास kahani
ईट - मिट्टी - पत्थर डलते देख इनकी छांतियों पर सांप लोटने लगते हैं और खुदाई की प्रक्रिया काफी कष्टदायक होती है । जरूरी नहीं कि सृजन सबके लिए सुखदाई ही हो । जननायकों को भी इसी तरह के सृजन या निर्माण का डर हमेशा बना रहता है । वे तो दिमागों में सिर्फ अपनी ही फसल को लहलहाता हुआ देखना पसंद करते हैं । कहने को तो लोकतंत्र है , अभिव्यक्ति की आजादी भी है , परंतु दिमाग में उग रही इस फसल का क्या करें , जिसका मालिक कोई और है ? पराली जलाना वातावरण के लिए हानिकारक है , इसलिए ये मान्यवर अपनी फसलों को सूखने ही नहीं देते तो फिर जलाने का प्रश्न ही नहीं है । आखिर प्रदूषण के खिलाफ कानून इन्हें ही बनाना है और उनका पालन भी इन्हें ही करवाना है ।