आज के 5 'कशमकश' चुनिंदा शेर
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए
~आशुफ़्ता चंगेज़ी
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
~फ़िराक़ गोरखपुरी
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
~हफ़ीज़ जालंधरी
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
~हफ़ीज़ जालंधरी
कशमकश शायरी इन हिंदी
मुझे भी लम्हा-ए-हिजरत ने कर दिया तक़्सीम
निगाह घर की तरफ़ है क़दम सफ़र की तरफ़
~शहपर रसूल
ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
~शोहरत बुख़ारी