सावन बारिश का महीना है , सावन प्रकृति के खिलने का महीना है और सावन महादेव की भक्ति का भी महीना है । भगवान भोलेनाथ के सामने पूरे विश्वास के साथ समर्पण करने से मन की हर आस पूरी होती है ।
सावन में पूरी हो आपकी सारी आस |
मात्र एक लोटा गंगा जल , अक्षत , बिल्वपत्र और मुख से बम - बम की ध्वनि निकालने से भी आशुतोष भगवान शिव जी की पूजा परिपूर्ण मानी जाती है ।
एक बार सावन के महीने में प्रसिद्ध शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी थी । तभी अचानक आकाश मार्ग से सोने की एक थाली प्रकट हुई और भविष्यवाणी हुई कि जो कोई भगवान शिव का सच्चा भक्त होगा , उसे आशीर्वाद स्वरूप यह सोने की थाली प्राप्त होगी । यह सुनते ही बड़े - बड़े महात्मा , दानी , भक्त पधारे और थाली को उठाने का प्रयास करने लगे । सबसे पहले मंदिर के प्रधान पुजारी आगे आए और बोले , " मैं प्रतिदिन महादेव का अभिषेक करता हूं । मैं भोलेनाथ का सबसे निकटवर्ती भक्त हूं , इसलिए सोने की थाली मुझे ही मिलनी चाहिए । ” जैसे ही पंडित जी ने थाली उठाई , थाली पीतल की हो गई । इस प्रकार वहा • उपस्थित सभी लोगों ने खुद को आजमाया , लेकिन उनमें से कोई भी सच्चे भक्त के मानक पर खरा नहीं उतरा । जिस व्यक्ति ने बहुत बड़ी रकम दान - दक्षिणा के रूप में देकर मंदिर • बनवाया था , उसने भी प्रयास किया , मगर वह भी सोने की थाली रूपी आशीर्वाद प्राप्त नहीं कर सका । उसी समय मंदिर में एक साधारण व्यक्ति ने प्रवेश किया । उसने भी भविष्यवाणी के बारे में सुना था , लेकिन वह शिव जी के दर्शन में इतना मग्न था कि उसने सोने की थाली की परवाह नहीं की । जब वह व्यक्ति मंदिर से पूजा करके जा रहा था तो किसी ने कहा कि मंदिर में आए सभी लोगों ने प्रयास किया है , तुम भी प्रयास करके देख लो , कहीं सच्चे भक्त तुम तो नहीं ! जैसे ही उस व्यक्ति ने थाली उठाई , थाली उसके हाथ में चमकने लगी , जिसे देखकर सभी लोग जयकारा लगाने लगे और एक सच्चे शिव भक्त की पहचान हुई । कुछ लोगों ने सच्चे भक्त से पूछा कि वह कैसे भक्ति करता है , जिससे महादेव उससे इतने प्रसन्न हैं । तब वह व्यक्ति बोला , " ईश्वर की भक्ति के साथ मैं अपना कार्य पूरे मनोयोग से करता हूं और नित्य थोड़ा - सा समय निकालकर जरूरतमंदों की मदद करता हूं , क्योंकि मैंने सुना है कि दूसरों की निःस्वार्थ मदद करने वालों की मदद स्वयं भगवान करते हैं । "
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सावन माह की यह कथा बताती है कि भक्त की कोई भी कामना ऐसी नहीं है , जो सावन में शिव आराधना से पूरी न हो सके । भगवान शिव सच्चे भक्त से शीघ्र प्रसन्न होते हैं । सात्विक , निर्मल , निश्छल भाव से की जाने वाली शिव आराधना का फल अनंत गुना मिलता है । रामचरितमानस में तुलसीदास ने लिखा है कि शिवरूप परमात्मा सभी प्राणियों के हृदय में ही स्थित है । काम , क्रोध , लोभ , मद , मोह का आवरण हटने पर शिव कृपा का प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है । भक्तों के परम कल्याण और पूर्ण लाभ के लिए शुभ आचरण युक्त भक्ति अनिवार्य है । सावन मास में शिव आराधना के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति अपने कष्टों को दूर कर जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकता है । नौकरी की समस्या , दांपत्य जीवन में कोई मुसीबत , अथवा विवाह का योग न बन रहा हो या फिर जीवन में अचानक कोई विपत्ति आ गई हो , भक्त अपनी विशेष कामना पूरी करने के लिए शिव आराधना द्वारा मन की आस पूरी कर सकता है । विद्यार्थियों को सावन सोमवार व्रत रखकर शिव मंदिर में जलाभिषेक करने से एकाग्रता , विद्या , बुद्धि में वृद्धि होती है । सुहागिन स्त्रियों को व्रत - पूजन से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है , विवाह योग्य कुंवारी कन्याओं को व्रत रखने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है , बेरोजगारों को रोजगार और सदगृहस्थ नौकरी - पेशा या व्यापारी वर्ग को धन - धान्य और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । संतान प्राप्ति के लिए भी सावन में शिव आराधना परम कल्याणकारी हैं । जिन्हें लौकिक वस्तुओं की अभिलाषा न हो , उन्हें सावन सोमवार व्रत करने से शिव भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
अपनी राशि के अनुसार |
अपनी राशि के अनुसार
1 मेष : सावन मास में रोजाना शिवलिंग पर बेलपत्र पर सफेद चंदन से राम नाम लिखकर जल अर्पित करें ।
2 वृष : शिवलिंग पर दूध - दही से अभिषेक और हर शृंगार के फूलों की माला चढ़ाकर सफेद चंदन से तिलक
3 मिथुन : सावन मास में रोजाना भगवान शिव का शहद से रुद्राभिषेक करें और गाय को हरी घास खिलाएं ।
4 कर्क : सावन माह में हर रोज भगवान शिव को दूध , दही , गंगा जल और मिश्री से स्नान करा अभिषेक करें ।
5 सिंह : सावन के महीने में प्रत्येक दिन शुद्ध देसी घी से भगवान शिव को स्नान कराएं ।
6 कन्या : दूध और शहद से भगवान शिव का अभिषेक कर बेलपत्र , मदार के पुष्प , धतूरा और भांग अर्पित करें ।
7 तुला : दही और गन्ने के रस से शिवलिंग को स्नान कराएं और पूजन के बाद गरीबों को मिश्री दान करें ।
8 वृश्चिक : शिवलिंग पर तीर्थस्थान का जल और दूध में शक्कर एवं शहद मिलाकर स्नान करा लाल चंदन से तिलक करें ।
9 धनु : कच्चे दूध में केसर , गुड़ , हल्दी मिलाकर शिवलिंग को स्नान करा केसर , हल्दी से तिलककर पीले पुष्प अर्पित करें । 10 मकर: घी , शहद , दही और बादाम के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करें .. नारियल के जल से स्नान करा नीले पुष्प अर्पित करें ।
11 कुंभ : गंगा जल में भस्म मिलाकर भगवान शिव को स्नान कराने के बाद जटा वाला नारियल शिर्वाण करें ।
12 मीन : भगवान शिव को कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर स्नान करा केसर का तिलक करें , पीले पुष्प और केसर अर्पित करें ।
कैसे करें पूजन
सावन में शिव महिमा का गुणगान करते हुए अपनी श्रद्धा अनुसार शिवाष्टक , शिव तांडव स्तोत्र , शिव महिम्नस्तोत्र , शिव चालीसा , शिव सहस्रनाम , शिव के मंत्रों का जाप श्रद्धा भक्ति से करें । सरलता की दृष्टि से मात्र एक लोटा गंगा जल , अक्षत , बिल्वपत्र और मुख बम - बम की ध्वनि निकालने से भी आशुतोष भगवान शिव जी की पूजा परिपूर्ण मानी जाती है ।
एक उपाय शिवामूठ
सुख - समृद्धि , धन प्राप्ति अथवा रुके कार्यों को पूरा करने के लिए एक सरल और अत्यंत प्रभावशाली उपाय शिवामूठ के नाम से प्रचलित है । इसमें हर सोमवार को क्रमशः एक - एक मुट्ठी चावल , तिल , मूंग , जौ अर्पण करने से मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं , लेकिन शर्त यह है कि यह उपाय आपको चार सोमवार बिना बाधा के पूरा करना है । इसके अंतर्गत सावन के पहले सोमवार को शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग पर एक मुट्ठी कच्चे साबुत चावल अर्पण करें । दूसरे सोमवार को एक मुट्ठी सफेद तिल , तीसरे सोमवार को एक मुट्ठी खड़ी मूंग और चौथे सोमवार को एक मुट्ठी जौ अर्पित करें । साधारण ग्रहस्थ को कठिन अनुष्ठान की अपेक्षा सरल विधि से शिव पूजन करना चाहिए ।
अनिष्ट ग्रहों की चाल से बचाव
सावन में शिवोपासना द्वारा अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों का भी शमन स्वतः होने लगता है । शिवलिंग ब्रह्मांड का प्रतीक है और ब्रह्मांड में सभी ग्रह समाहित हैं । श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक , महामृत्युंजय जप बड़ी से बड़ी ग्रह बाधा को भी दूर कर देता है । शनि ग्रह चाहे कितना भी पीड़ादायक क्यों न हो , शिवोपासना से शनि के समस्त कष्टों से निजात पाई जा सकती है । इसी के साथ राहु - केतु द्वारा निर्मित कालसर्प दोष का भी शमन शिवोपासना द्वारा संभव है ।
तीन बार ' महादेव '
भगवान के शिव , महादेव आदि नामों में अमोघ शक्ति है । मान्यताओं के अनुसार , मात्र एक बार सच्चे मन से ' महादेव ' उच्चारण करने पर भक्त सरलता से मुक्ति प्राप्त करता है । जब भक्त तीन बार ' महादेव , महादेव , महादेव ' , इस तरह भगवान का नाम उच्चारित करता है , तब भगवान एक नाम के प्रभाव से भक्त को मुक्ति दे देते हैं और शेष बचे दो नाम के निमित्त भक्त के सदा ऋणी हो जाते हैं ।