Jigar Moradabadi Selected Sayari Collection - Jigar Moradabadi Shayari: जिगर मुरादाबादी के चुनिंदा शेर
Jigar Moradabadi Selected Sayari Collection | जिगर मुरादाबादी के चुनिंदा शेर Jigar moradabadi sher, jigar moradabadi shayari, jigar moradabadi ke sher, jigar moradabadi ki shayari, जिगर मुरादाबादी के शेर, जिगर मुरादाबादी की शायरी
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है
रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
तेरी बातों से आज तो वाइज़
वो जो थी ख़्वाहिश-ए-नजात गई
जीते जी और तर्क-ए-मोहब्बत
मर जाना आसान नहीं है
क्या ख़बर थी ख़लिश-ए-नाज़ न जीने देगी
ये तिरी प्यार की आवाज़ न जीने देगी
आँखों में नूर जिस्म में बन कर वो जाँ रहे
या'नी हमीं में रह के वो हम से निहाँ रहे
नियाज़ ओ नाज़ के झगड़े मिटाए जाते हैं
हम उन में और वो हम में समाए जाते हैं
बराबर से बच कर गुज़र जाने वाले
ये नाले नहीं बे-असर जाने वाले
पी रहा हूँ आँखों आँखों में शराब
अब न शीशा है न कोई जाम है
सब पे तू मेहरबान है प्यारे
कुछ हमारा भी ध्यान है प्यारे
इश्क़ पर कुछ न चला दीदा-ए-तर का क़ाबू
उस ने जो आग लगा दी वो बुझाई न गई
रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
तेरी बातों से आज तो वाइज़
वो जो थी ख़्वाहिश-ए-नजात गई
जीते जी और तर्क-ए-मोहब्बत
मर जाना आसान नहीं है
क्या ख़बर थी ख़लिश-ए-नाज़ न जीने देगी
ये तिरी प्यार की आवाज़ न जीने देगी
आँखों में नूर जिस्म में बन कर वो जाँ रहे
या'नी हमीं में रह के वो हम से निहाँ रहे
नियाज़ ओ नाज़ के झगड़े मिटाए जाते हैं
हम उन में और वो हम में समाए जाते हैं
बराबर से बच कर गुज़र जाने वाले
ये नाले नहीं बे-असर जाने वाले
पी रहा हूँ आँखों आँखों में शराब
अब न शीशा है न कोई जाम है
सब पे तू मेहरबान है प्यारे
कुछ हमारा भी ध्यान है प्यारे
इश्क़ पर कुछ न चला दीदा-ए-तर का क़ाबू
उस ने जो आग लगा दी वो बुझाई न गई