कविता सृजन पथ पर
सविता चड्डा
जब हम नहीं रहेंगे,
दुनिया तो चलती रहेगी,
सब कुछ वैसा ही रहेगा,
ये विचार आते ही
कभी-कभी
जब भरोसा डगमगाने लगता है,
मेरे दिल की धड़कन मुझे अग्रसारित करती है,
तब मेरे कदमों की चाल और तेज हो जाती है,
\कानों में घंटियां बजने लगती हैं,
दिल तक पहुंच जाती है आवाज
"हताश मत हो, जो काम निपटाने हैं कर ले,
दुनिया में तू नहीं भी रहेगी पर दुनिया तो रहेगी,
दुनिया कभी नहीं होगी खत्म,
दुनिया कभी नहीं
होती खत्म,
तेरे शब्दों की सुगंध
दुनिया की हवा में रह सकती है,
बस तू सक्रिय रहना सृजन पथ पर !"
ये घंटियों का स्वर
हर बार अभिमंत्रित कर जाता है, सृजन पथ पर ।