सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Karwa Chauth 2022 Kahani in Hindi Tu Mera Chand 'तू मेरा चांद' Kahani - हिंदी शायरी एच

Latest Hindi Kahani तू मेरा चांद  मां आश्चर्य में पड़ गई और छलनी उठाकर बेटी को निहारते हुए बोली, “तेरी मां ही तेरा चांद है। देख मुझे और जल्दी से कुछ खा ले, बेटा।" छलनी के इस पार मां और उस पार बेटी थी।


तू मेरा चांद Latest Hindi Kahani
तू मेरा चांद Kahani _Photo-HindiShayariH


तू मेरा चांद




करवा चौथ का दिन था। रसोई पकवानों से महक रही थी।  घर में, आस-पड़ोस में बेहद रौनक थी। तभी एक छोटी-सी बच्ची के मन में ये सब देख कई सवाल आए और वह जिज्ञासावश मां से बड़ी मासूमियत से बोली, “मां-मां, आज क्या

है?" मां ने जवाब दिया, "बेटा, आज करवा

चौथ है।" बेटी ने फिर पूछा, "मां, यह करवा चौथ क्या होता है?"

मां ने उसे समझाने वाले लहजे में कहा, "यह एक व्रत होता है, जिसमें बिना कुछ खाए-पीए रहना होता है, जब तक चांद न निकल आए, तब तक ।"

"ओह! यह तो बहुत कठिन है, मां!"

"हां, कठिन तो है।"

"मां, मुझे भी रखना है।"

"अरे पगली, यह व्रत शादी-शुदा लड़कियां रखती हैं। जब तेरी शादी हो जाए तो तू भी रखना मेरे दामाद के लिए, ठीक है।"


"मां, आप कितने सारे व्रत करती हैं, कभी पापा के लिए, कभी मेरे लिए, कभी घर की खुशहाली के लिए। आज आपके लिए मैं व्रत रखूंगी, क्योंकि इतना कंठिन व्रत अगर किसी के लिए रखना चाहिए तो वह है मां यानी आप । इसलिए आपके लिए मैं रखूंगी यह व्रत ।"

मां वात्सल्य से भर उठी और हंसकर

बोली, “अच्छा बाबा, रख लेना। आज तो सुबह तुमने नाश्ता कर लिया, इसलिए अब अगली बार रखना, ठीक है ।" शाम हो गई। चांद हमेशा की तरह भाव खा

रहा था। आस-पड़ोस की सुहागिनें इंतजार में थीं उसके । तभी बेटी आई और बोली, "मां, चांद कब आएगा?"

“आ जाएगा, बेटा । तू परेशान मत हो।" बेटी बड़ी मासूमियत से बोली, “मां, मुझे भूख लगी है। मैंने आपके लिए व्रत रखा है । मैंने सुबह के नाश्ते के बाद कुछ नहीं खाया। बस, तभी से व्रत रखा है।"

मां आश्चर्य में पड़ गई और छलनी उठाकर उसे निहारते हुए बोली, “तेरी मां ही तेरा चांद है। देख मुझे और जल्दी से कुछ खा ले, बेटा ।” छलनी के इस पार मां, उस पार बेटी थी। मां की आंखों से अपने चांद (बेटी) को अर्घ्य देने के लिए आंसू गिर रहे थे।

करवा चौथ कहानी इन हिंदी पीडीएफ

तभी एक पड़ोसी महिला उससे बोली, "अरे! यह क्या कर रही हैं आप? इस छलनी से चांद के पहले किसी को नहीं देखा जाता। पति को भी चांद देखने के बाद ही देखते हैं छलनी से।"

मां मन ही मन मुस्कुराई और सोचने लगी, "मेरे इस चांद (बेटी) से पवित्र और भला कौन-सा चांद होगा।" तभी चांद आसमान पर उतर आया, जैसे वह भी इस दुर्लभ दृश्य की तस्वीर कैद कर लेना चाहता हो।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे