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Hindi Shayari Mirza Ghalib Shayari : 'मिर्ज़ा ग़ालिब' की ग़ज़लों से ऐसे चुनिंदा शेर जो आपके दिल-ओ-दिमाग को ताजगी से भर दे - Mirza Ghalib - Hindi Shayari H

मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी Mirza Ghalib Shayari : 'मिर्ज़ा ग़ालिब' की ग़ज़लों से ऐसे चुनिंदा शेर जो आपके दिल-ओ-दिमाग को ताजगी से भर दे - Mirza Ghalib Best Shayari Mirza Ghalib Famous Ghazalas |  मिर्ज़ा ग़ालिब, मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी, मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी, मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी, मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ले, मिर्ज़ा ग़ालिब बर्थडे, मिर्ज़ा ग़ालिब बर्थडे शायरी, मिर्ज़ा ग़ालिब बर्थ एनिवर्सरी

Hindi Shayari Mirza Ghalib Shayari : 'मिर्ज़ा ग़ालिब' की ग़ज़लों से ऐसे चुनिंदा शेर जो आपके दिल-ओ-दिमाग को ताजगी से भर दे
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी




बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' 
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है 

दिल से तिरी निगाह जिगर तक उतर गई 
दोनों को इक अदा में रज़ा-मंद कर गई 

ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब' 
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे 

मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त 
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ


मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
 
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए 
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए

इश्क़ से तबीअ'त ने ज़ीस्त का मज़ा पाया 
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया  

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो 
कीजे हमारे साथ अदावत ही क्यूँ न हो 

तू दोस्त कसू का भी सितमगर न हुआ था 
औरों पे है वो ज़ुल्म कि मुझ पर न हुआ था 

क्यूँ डरते हो उश्शाक़ की बे-हौसलगी से 
याँ तो कोई सुनता नहीं फ़रियाद किसू की 

दिल उस को पहले ही नाज़-ओ-अदा से दे बैठे 
हमें दिमाग़ कहाँ हुस्न के तक़ाज़ा का 

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए 
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था 

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना 
आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना 


नज़्ज़ारे ने भी काम किया वाँ नक़ाब का 
मस्ती से हर निगह तिरे रुख़ पर बिखर गई 

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना 
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना 

हुए हैं पाँव ही पहले नबर्द-ए-इश्क़ में ज़ख़्मी 
न भागा जाए है मुझ से न ठहरा जाए है मुझ से 


देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है 
मैं उसे देखूँ भला कब मुझ से देखा जाए है 

देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है 
मैं उसे देखूँ भला कब मुझ से देखा जाए है 





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